अन्न अधिकार अभियान सफलतापूर्वक संपन्न, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने एमपीजे की मांगों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया





            


मुंबई: महाराष्ट्र में सब के लिए अन्न अधिकार सुनिश्चित करने हेतु एमपीजे के द्वारा 5 जनवरी 2019 को “अन्न का अधिकार-जीने का अधिकार” के नाम से शुरू किया गया अन्न अधिकार अभियान सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है. इस अभियान के तहत एमपीजे ने प्रदेश के विभिन्न इलाक़ों में राशन के मुद्दे पर जनजागरण अभियान चला कर जनता को राशन के उनके अधिकार के बारे में आवश्यक सूचना प्रदान कर के सशक्त बनाने का प्रयास किया.

इस जनजागरण कार्यक्रम के दौरान एमपीजे को बड़ी तादाद में राशन डीलरों द्वारा राशनकार्ड धारकों को बिल्कुल ही राशन नहीं दिये जाने और निर्धारित कोटे से कम मात्रा में राशन देने की शिकायत प्राप्त हुई. राशनकार्ड धारकों ने बताया कि उनकी शिकायत सम्बंधित सरकारी कार्यालय में भी नहीं सुनी जाती है.

एमपीजे ने विभिन्न स्थानों पर कैंप लगा कर लोगों को महाराष्ट्र सरकार के शासन निर्णय के अनुरूप राशन से सम्बंधित मुद्दों पर शिक्षित करने का कार्य किया. कई जगहों पर सम्बंधित विभागीय अधिकारियों से मिलकर जनता की परेशानी से अवगत कराया.


इस अभियान के अंतिम चरण में एमपीजे ने अन्न अधिकार सुनिश्चित करने के लिए राज्यव्यापी स्तर पर धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया, जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री मा. श्री गिरीश बापट ने एमपीजे को राशन के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया. श्री शब्बीर देशमुख के नेतृत्व में एक डेलीगेशन द्वारा मंत्री महोदय से मुलाक़ात कर के इस विषय पर विस्तार से चर्चा की गई. मा. श्री गिरीश बापट ने एमपीजे के कार्यों की सराहना करते हुए राशन से वंचित लोगों को पीडीएस से जोड़ने का भरोसा दिलाया है.  

  

एमपीजे के अन्न अधिकार अभियान के तहत प्रदेश के अनेक स्थानों पर धरना –प्रदर्शन का सफ़ल आयोजन




                                                                  
मुंबई: अन्न का अधिकार जीने का अधिकार का नारा बुलंद करते आज यहाँ प्रदेश के अलग अलग कोने से आये राशन से वंचित नागरिकों को प्रदेश सरकार से भीख नहीं उन्हें उनका अधिकार देने की मांग करते देखा गया. मुंबई के आज़ाद मैदान में बड़ी तादाद में राशन से वंचित लोग जमा हो कर अन्न के अधिकार के लिए धरने पर बैठे नज़र आये.

प्रदेश की जन आन्दोलन "मुव्हमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर" (MPJ) के प्रदेश उपाध्यक्ष रमेश कदम ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि, “अन्न  का अधिकार भारत के नागरिकों का एक मौलिक अधिकार है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने एक फ़ैसले में कहा था कि यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है कि देश में कोई भी भूखा न रहे. लेकिन, यह एक कड़वा तथ्य है कि देश की सबसे समृद्ध अर्थव्यवस्था के रूप में  जाने जाने वाले प्रदेश महाराष्ट्र में भी भूख से संबंधित मौत होने की घटनाएँ घटित होती रही हैं.  भारत सरकार ने भूख की समस्या से निपटने के लिए वर्ष  2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) लागू किया.  लेकिन देश में खाद्य सुरक्षा होने के बावजूद लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं.   अधिकांश लोगों को एनएफएसए द्वारा प्रदत्त उनके खाद्य सुरक्षा अधिकार नहीं मिल पा रहा है.” 

एमपीजे के मुंबई अध्यक्ष शब्बीर देशमुख ने बताया कि, “प्रदेश में टी पी डी एस के तहत हक़दार लोगों को  राशन नहीं मिलने और निर्धारित कोटे से कम मिलने की शिकायत आम है.  पीड़ित उपभोक्ता सरकारी कार्यालय के चक्कर काटता रह जाता है, किन्तु उसकी सुनने वाला कोई नहीं है.”

आप को बता दें कि, मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने महारष्ट्र में नागरिकों के अन्न अधिकार को लेकर एक राज्यव्यापी जनजागरण अभियान आयोजित किया था. यह अभियान दिनांक 5 जनवरी 2019 को शुरू हुआ था और 31 जनवरी 2019 को ख़त्म होगा. इस अभियान के अंतिम चरण में एमपीजे द्वारा प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में वंचितों को उनके जीने का हक़ देने हेतु आज धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया है और सरकार से मांग की गई है कि जनता को उनके जीने का अधिकार दिया जाए. इस अभियान के तहत एमपीजे ने प्रदेश में जनजागरण अभियान चला कर जनता को उनके अन्न अधिकार के मामले में जागरूक करने के साथ साथ सरकार से महाराष्ट्र में लक्षित जन वितरण प्रणाली के तहत राशन वितरण को न्यायसंगत और पारदर्शी बनाने की मांग की है.

प्रेस को संबोधित करते हुए एमपीजे के प्रदेश अध्यक्ष मुहम्मद सिराज ने कहा कि, “वर्ष 2013 में जब अन्न सुरक्षा क़ानून आया, उस समय महाराष्ट्र में 8 करोड़ 77 लाख लोग अन्न सुरक्षा का लाभ पा रहे थे, किन्तु उक्त क़ानून के तहत सात करोड़ लोगों को अन्न सुरक्षा देने का प्रावधान किया गया था, जिससे 1 करोड़ 77 लाख लोग अन्न सुरक्षा से वंचित हो गए थे. तत्कालीन सरकार ने बाज़ार भाव पर केंद्र सरकार से अनाज लेकर उन वंचित हो गए लोगों को सब्सिडी प्रदान कर के पीडीएस का लाभ दिया था. किन्तु वर्ष 2014 में वर्तमान  सरकार के आने के पश्चात् उन लोगों का सब्सिडी आधारित  राशन बंद हो गया.  राशन वितरण हेतु डिजिटल सिस्टम अपनाये जाने के कारण भी एक करोड़ दस लाख लोग अन्न सुरक्षा के लाभ से वंचित हो गए.  इस तरह प्रदेश में कुल 2 करोड़ 87 लाख लोगों को अन्न सुरक्षा से वंचित कर दिया गया है.” 

उन्हों ने कहा कि हम महाराष्ट्र सरकार से मांग करते हैं कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा एक अधिकार है, इसलिए खाद्य सुरक्षा कवर से एक भी गरीब और कमजोर को बाहर नहीं छोड़ा जाए. इसके अलावा NFSA के तहत एक करोड़ से अधिक पात्र लाभार्थी आधार आधारित पीडीएस प्रणाली में तकनीकी गड़बड़ी के कारण राशन की दुकानों से राशन उठाने में असमर्थ हैं, इसलिए जब तक अंतिम व्यक्ति को AePDS में सफलतापूर्वक पंजीकृत नहीं कर लिया जाता है, तब तक एक भी पात्र लाभार्थी को खाद्य सुरक्षा से वंचित नहीं किया जाए. साथ ही प्राधान्य लाभार्थियों  के लिए 59,000 की वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर 1 लाख कर दिया जाए तथा खाद्य सुरक्षा नेट में अक्टूबर 2014 से राशन से वंचित कर दिए गए 1.77 करोड़ एपीएल- ऑरेंज कार्ड धारकों  को वापस लाया जाए.

अकोला 










अमरावती  

  
 
                                                                     लातूर 
                 




                                                                    मुंबई 












                                                                  नागपुर 



नांदेड़ 








                                                                    जालना 




MPJ के हस्तक्षेप के बाद, भ्रष्ट राशन डीलरों के खिलाफ शिकायत दर्ज

  

मुंबई: आज मुव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) द्वारा कुर्ला के शिधा वाटप कार्यालय में लगभग दो सौ राशन कार्ड धारकों के राशन नहीं मिलने या कम मिलने की शिकायत दर्ज करवाई गई. आप को बता दें कि इस क्षेत्र के बहुत सारे राशन कार्ड धारकों को सार्वजानिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत राशन डीलरों द्वारा या तो राशन दिया ही नहीं जा रहा है या उपभोक्ता को मिलने वाले राशन की मात्रा से काफ़ी कम राशन दिया जा रहा है. कार्डधारकों द्वारा सम्बंधित कार्यालय में राशन डीलरों के विरुद्ध लिखित शिकायत को भी स्वीकार नहीं किया जा रहा था.

गौर तलब है कि एमपीजे द्वारा 5 जनवरी 2019 से अन्न अधिकार पर एक राज्यव्यापी जनजागरण अभियान शुरू किया गया है जो  31 जनवरी 2019 को ख़त्म होगा. इसी अभियान के तहत एमपीजे की मुंबई जिला यूनिट द्वारा चलाये जा रहे जनजागरण अभियान के तहत मुंबई के अनेक स्थानों पर राशन नहीं मिलने या निर्धारित कोटे से कम मिलने की शिकायत प्राप्त हुई थी. लोगों ने बताया कि सम्बंधित राशन कार्यालय में कोई उनकी लिखित शिकायत को भी स्वीकार नहीं करता है और हमें वहां से भगा  दिया जाता है. इस आम शिकायत के मद्दे नज़र एमपीजे मुंबई यूनिट के पदाधिकारियों ने सम्बंधित शिधा वाटप कार्यालय में अधिकारीयों से भेंट कर के पब्लिक की समस्याओं के समाधान हेतु अनुरोध किया, जिसके बाद आज लगभग दो सौ लोगों की लिखित शिकायत शिधा वाटप कार्यालय ने स्वीकार किया और सम्बंधित अधिकारीयों द्वारा इन शिकायतों पर उचित कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया गया.

आप को बता दें कि, इस अन्न अधिकार अभियान के तहत एमपीजे का फोकस वह तीन करोड़ लोग हैं, जिन्हें पीडीएस के अंतर्गत राशन से वंचित कर दिया गया है. सर्वविदित है कि, सरकार ने लक्षित जन वितरण प्रणाली के तहत ग्रामीण क्षेत्र में 76% और शहरी क्षेत्र में 45% जनसँख्या को कवर करने का लक्ष्य तय किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. आप को बता दें कि, शहरी क्षेत्र में लक्षित जन वितरण प्रणाली के तहत राशन पाने हेतु वार्षिक आय की सीमा 59,000/- और ग्रामीण क्षेत्र के लिए 44,000/- तय किया गया है. अभी तक सरकार अपने तयशुदा लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाई है.  इसलिए एमपीजे इस अभियान के तहत राज्य के विभिन्न स्थानों पर जनजागरण कार्यक्रम चला रही है.

गौर तलब है कि वर्ष 2013 में जब अन्न सुरक्षा क़ानून आया, उस समय महाराष्ट्र में 8 करोड़ 77 लाख लोग अन्न सुरक्षा का लाभ पा रहे थे, किन्तु उक्त क़ानून के तहत सात करोड़ लोगों को अन्न सुरक्षा देने का प्रावधान किया गया था, जिससे 1 करोड़ 77 लाख लोग अन्न सुरक्षा से वंचित हो गए थे. तत्कालीन सरकार ने बाज़ार भाव पर केंद्र सरकार से अनाज लेकर उन वंचित हो गए लोगों को सब्सिडी प्रदान कर के पीडीएस का लाभ दिया था.

किन्तु वर्ष 2014 में नई सरकार के आने के पश्चात् उन लोगों का सब्सिडी आधारित  राशन बंद हो गया. इसके अलावा राशन वितरण हेतु डिजिटल सिस्टम अपनाये जाने के कारण एक करोड़ दस लाख और लोग अन्न सुरक्षा के लाभ से वंचित हो गए.  इस तरह प्रदेश में 2 करोड़ 87 लाख लोगों को अन्न सुरक्षा से वंचित कर दिया गया है.


इस अभियान के तहत एमपीजे की मांग है कि वर्ष 1997 के वार्षिक आय सीमा के अनुसार केसरी कार्ड धारकों यानि एक लाख रुपये वार्षिक आय वाले परिवारों को अन्न सुरक्षा का लाभ दिया जा रहा था, तो अभी वार्षिक आय सीमा 59000/- से एक लाख किया जाना चाहिए और जो 2 करोड़ 87 लाख लोग वंचित कर दिए गए हैं, उन्हें अन्न सुरक्षा का लाभ प्रदान किया जाना चाहिए.




अन्न अधिकार अभियान-2019




“अन्न का अधिकार- जीने का अधिकार” विषय पर कार्यशाला का आयोजन





मुंबई: मुव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने अन्न का अधिकार- जीने का अधिकार” विषय पर आज यहाँ  एक कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें अन्न हक्क़ परिषद के विभिन्न सदस्य संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस कार्यशाला में उपस्थित लोगों का भारतीय संविधान और अन्न सुरक्षा क़ानून के विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन किया गया.

कार्यशाला में एमपीजे के प्रदेश उपाध्यक्ष रमेश कदम ने अन्न सुरक्षा अधिनियम और महाराष्ट्र में इसके कार्यान्वयन पर मार्गदर्शन प्रदान किया. जबकि श्रीमती संगीता ठाकरे ने भारतीय संविधान के उद्देशिका और नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य पर मार्गदर्शन किया.

अन्य वक्ताओं ने भी अन्न अधिकार पर अपनी बातें रखीं. 








एमपीजे ने महाराष्ट्र के विभिन्न ज़िलों में किसानों की समस्याओं पर ज़िलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन

महारष्ट्र में एमपीजे द्वारा चलाये गए किसान अधिकार अभियान के अंतिम चरण में प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप कर किसानों को उनका न्यायोचित हक़ देने का अनुरोध किया गया है. यह ज्ञापन प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में ज़िलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री को भेजा गया है.


























News Portal






Video








Media Coverage: Farmers’ Rights Campaign

© Copyright 2015. MPJ, Maharashtra. This Blog is Designed, Customised and Maintained by Zinfomedia, the media arm of Brightworks Enterprises: Theme by Way2themes