MPJ Information Centre, Mumbai को मिली एक बड़ी कामयाबी





एम पी जे इनफार्मेशन सेंटर मुंबई ने सऊदी अरब में एक दुर्घटना में मारे गए भारतीय नागरिक अंसार अहमद के परिवार को जेद्दा स्थित इंडियन कांसुलेट की मदद से केस लड़ कर लगभग 42 लाख रुपये का मुआवज़ा दिलवाया. दरअसल अंसार अहमद भारतीय कामगार को वर्ष 2014 में एक सऊदी नागरिक ने नशे की हालत में ड्राइव करते हुए कुचल डाला और उसकी मौत हो गई. दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति की ग़रीबी में जिंदगी बसर कर रही विधवा उम्मातुन्निसा को सऊदी अरब से किसी प्रकार का कंपनसेशन नहीं मिला. 

पीड़ित का परिवार शिक्षित नहीं होने की वजह से कुछ भी करने की स्थिति में नहीं था. किसी ने उम्मातुन्निसा को कुर्ला स्थित एमपीजे सेंटर के बारे में बताया और उस महिला ने शब्बीर देशमुख, मुंबई ज़िला अध्यक्ष एमपीजे से संपर्क किया. उसके बाद एमपीजे की मुंबई इकाई ने सऊदी कंसलेट के माध्यम से सऊदी सरकार के विरुद्ध  कंपनसेशन क्लेम दायर किया.

श्री शब्बीर देशमुख लगातार केस संख्या JED/CW/436/337/2014 का फॉलो अप करते रहे और अंततः एमपीजे की कोशिश रंग लाई और श्री सचिन्द्र नाथ ठाकुर वाईस कौंसल ने एमपीजे मुंबई ज़िला अध्यक्ष श्री शब्बीर देशमुख को एक ईमेल के द्वारा सूचित किया है कि पीड़ित परिवार को 42 लाख रुपये का मुआवज़ा स्वीकार हो गया है.  

कॉर्पोरेट ऋण माफ करने के बजाए लोकहित के मदों पर खर्च किया जाए, तो देश की अधिकांश समस्याएं समाप्त हो जाएँगी: नीरज जैन




मुंबई: मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर ने आज यहां "वर्तमान परिस्थितियों में सामाजिक सक्रियता की गुंज़ाइश" पर एक सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किया.   इस अवसर पर एमपीजे के प्रदेश अध्यक्ष मुहम्मद सिराज ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि लोग केंद्र में सत्ता परिवर्तन की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन चुनाव परिणाम हमारे सामने हैं.  भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत से चुनाव जीत कर सत्ता पर अपना क़ब्ज़ा बरक़रार रखा है. यह देश की जनता का निर्णय है. आरोप-प्रत्यारोप और दोषारोपण व्यर्थ ही नहीं, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों के ख़िलाफ़ है. क्योंकि लोकतंत्र में जनमत ही सर्वोपरी होता है और हमें इसका सम्मान करना चाहिए.

उन्हों ने कहा कि, यह सच है कि इस लोकसभा चुनाव में जनता के वास्तविक मुद्दों को दरकिनार करते हुए छद्म राष्ट्रवाद और देशभक्ति को मुद्दा बनाया गया, जो हमारे वास्तविक मुद्दे हैं ही नहीं. आज देश की जनता के सामने अनेक समस्याएं विकराल रूप धारण किये खड़ी हैं, जिसका हल हमें ढूँढना है.  किन्तु हमें हताश और निराश होने की ज़रुरत नहीं है. हमें जनता के बीच जाना होगा और उनके वास्तविक मुद्दों पर बात करनी होगी. सरकार को यह याद दिलाना होगा कि संविधान प्रत्येक नागरिक को गरिमामय जीवन जीने की गारंटी देता है.

सभा को संबोधित करते हुए जनता साप्ताहिक के एसोसिएट एडिटर तथा लोकायत नामी ग़ैर सरकारी संगठन के संयोजक नीरज जैन ने दुनिया में बढ़ते हुए फ़ासीवाद के कारणों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि देश में फ़ासीवाद बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. देश के संविधान पर ख़तरा मंडरा रहा है. देश के सामने आर्थिक संकट एक बड़ी चुनौती बन कर उभरी है. सत्ता का सुख भोग रहे लोग राष्ट्र हित एवं जनहित की परवाह किए बग़ैर पूंजीपतियों को फ़ायेदा पहुँचाने में लगे हैं. पूंजीपति वर्ग को अपने फ़ायेदे के लिए देश के बैंकों के पैसों से लेकर प्राकृतिक संसाधनों तक का इस्तेमाल करने की खुली छूट है. इतना ही नहीं, मुल्क के पूंजीपतियों ने जो हमारी अर्थव्यवस्था को चुना लगाया है, उसकी भरपाई भी हम विदेशी क़र्ज़ों से कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जितना पैसा हम कॉर्पोरेट ऋण को माफ करने के लिए ख़र्च कर रहे हैं, अगर उसे लोकहित के मदों पर खर्च किया जाता, तो देश की अधिकांश समस्याएं समाप्त हो सकती थी. उन्होंने कहा मोदी सरकार स्वतंत्र भारत में सबसे अधिक किसान विरोधी सरकार साबित हुई है. भाजपा की नीतियों के कारण देश में बेरोज़गारी बहुत गंभीर समस्या बन गई है.



पूर्व बीबीसी संपादक और पूर्व टीवी टुडे के प्रबंध संपादक रिफ़त जावेद ने कहा कि, आज देश में भ्रष्टाचार, भूख, बीमारी और बेरोज़गारी जैसी अनेक समस्याएं हैं, जिसने आम आदमी की ज़िन्दगी को नारकीय बना दिया है. आज देश में एक विशेष समुदाय के विरुद्ध नफ़रत पैदा करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन नफ़रत का जवाब नफ़रत नहीं हो सकता है, बल्कि नफ़रत को मुहब्बत ही ख़त्म कर सकती है. उन्हें देश में नैतिक मूल्यों पर आधारित राजनीतिक विकल्प पेश करने और जनसमस्याओं को ख़त्म करने के लिए अपनी पहचान के साथ  आगे आना होगा.

उन्होंने कहा कि यूरोप में भूख, बीमारी और जिहालत कोई समस्या नहीं है, लेकिन प्राकृतिक एवं मानव संसाधनों के धनी देश भारत में आज भी ये समस्याएं गंभीर बनी हुई हैं. देश का सामाजिक बजट सिकुड़ता जा रहा है.

इस कार्यक्रम में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. महेश काम्बले की भी गरिमामय उपस्थिति रही.

शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूलों में अध्यनरत छात्रों का भविष्य अधर में




शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में नि:शुल्क अध्ययन करने वाले हज़ारों ग़रीब छात्रों के सामने एक संकट खड़ा हो गया है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के तहत वंचित और कमज़ोर वर्ग के छात्रों के लिए कक्षा 8 तक निजी स्कूलों में 25% आरक्षित सीटों पर नि:शुल्क शिक्षा का प्रावधान है. 

सर्वविदित है कि, देश में 1 अप्रैल 2010 को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 लागू होने के बाद उक्त 25 % आरक्षित सीटों पर वंचित और कमज़ोर वर्ग के छात्रों को शैक्षणिक सत्र 2011 में पहली बार प्रवेश दिया गया था.

इन आरक्षित सीटों पर अध्यनरत हज़ारों बच्चों ने इस वर्ष अपनी कक्षा 8 तक की शिक्षा पूरी कर ली है और निजी स्कूलों के प्रबंधन ने आठवीं कक्षा की शिक्षा पूरी कर चुके अपने कोटे के विद्यार्थियों को आगे की शिक्षा जारी रखने के लिए आगामी सत्र से पूरी फीस का भुगतान करने के लिए नोटिस जारी कर दिया है और फ़ीस का भुगतान नहीं करने की स्थिति में उन्हें स्कूल छोड़ने को कहा गया है.

हम सब इस तथ्य से अवगत हैं कि, कोटे के तहत प्रवेश दिये गए बच्चों की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय है और ये बच्चे निजी स्कूलों के फ़ीस का भुगतान नहीं कर सकते हैं. ज़ाहिर है कि, फ़ीस का भुगतान नहीं करने की स्थिति में इन बच्चों को निजी स्कूलों को छोड़ना होगा और निम्न मानकों के स्कूलों में वापस जाना होगा, जो उनके लिए मनोवैज्ञानिक रूप से दर्दनाक सिद्ध होगा. ऐसा उन ग़रीब परिवार के बच्चों के हित में नहीं होगा. उनका कैरियर बनने से पहले ही बिगड़ जायेगा.

एमपीजे ने भारत सरकार से देश के प्रत्येक बच्चे के लिए बारहवीं कक्षा तक नि:शुल्क स्कूली शिक्षा की क़ानूनी गारंटी देने के लिए आरटीई अधिनियम में संशोधन की मांग करते हुए प्रदेश सरकार से निवेदन करती है कि जब तक आरटीई अधिनियम में संशोधन नहीं हो जाता, इन हज़ारों बच्चों के हित को ध्यान में रखते हुए निजी स्कूलों में 25% आरक्षित कोटे के तहत शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों के लिए बारहवीं कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा की प्रदानगी की वैकल्पिक व्यवस्था करने का कष्ट करे. 

MPJ का लिंग-संतुलित महाराष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ महिला दिवस संपन्न




सोलापुर: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज यहाँ मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर (MPJ) ने महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में अपना उत्कृष्ट योगदान दे रही महिलाओं ने बतौर वक्ता कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का मार्गदर्शन किया.

MPJ द्वारा यह कार्यक्रम सोलापुर स्थित वसुंधरा कला महाविद्यालय तथा राज्य विधि सेवा प्राधिकरण के साथ संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता वसुंधरा कला महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. (श्रीमती) मीना गायकवाड़ ने किया.

इस अवसर पर महिलाओं हेतु विधि सेवा शिविर का भी आयोजन किया गया, जिसमें ज़िला न्यायालय की जजों माननीय श्रीमती यू एल जोशी और माननीय श्रीमती जे एम मिस्त्री ने महिलाओं के अधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला.

इस अवसर पर नगर की प्रसिद्ध महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. (श्रीमती) फ़िरदौस सय्यद ने भी महिलाओं से सम्बंधित महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये.  


MPJ ज़िला अध्यक्ष अब्दुल खालिक़ मंसूर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, हमारे लिए  महिला दिवस सिर्फ़ एक दिन का जश्न नहीं है, बल्कि एमपीजे के लिए महिला सशक्तिकरण एक अभियान है, जिसका लक्ष्य  लिंग-संतुलित महाराष्ट्र का निर्माण करना है.  








अन्न अधिकार अभियान सफलतापूर्वक संपन्न, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने एमपीजे की मांगों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया





            


मुंबई: महाराष्ट्र में सब के लिए अन्न अधिकार सुनिश्चित करने हेतु एमपीजे के द्वारा 5 जनवरी 2019 को “अन्न का अधिकार-जीने का अधिकार” के नाम से शुरू किया गया अन्न अधिकार अभियान सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है. इस अभियान के तहत एमपीजे ने प्रदेश के विभिन्न इलाक़ों में राशन के मुद्दे पर जनजागरण अभियान चला कर जनता को राशन के उनके अधिकार के बारे में आवश्यक सूचना प्रदान कर के सशक्त बनाने का प्रयास किया.

इस जनजागरण कार्यक्रम के दौरान एमपीजे को बड़ी तादाद में राशन डीलरों द्वारा राशनकार्ड धारकों को बिल्कुल ही राशन नहीं दिये जाने और निर्धारित कोटे से कम मात्रा में राशन देने की शिकायत प्राप्त हुई. राशनकार्ड धारकों ने बताया कि उनकी शिकायत सम्बंधित सरकारी कार्यालय में भी नहीं सुनी जाती है.

एमपीजे ने विभिन्न स्थानों पर कैंप लगा कर लोगों को महाराष्ट्र सरकार के शासन निर्णय के अनुरूप राशन से सम्बंधित मुद्दों पर शिक्षित करने का कार्य किया. कई जगहों पर सम्बंधित विभागीय अधिकारियों से मिलकर जनता की परेशानी से अवगत कराया.


इस अभियान के अंतिम चरण में एमपीजे ने अन्न अधिकार सुनिश्चित करने के लिए राज्यव्यापी स्तर पर धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया, जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री मा. श्री गिरीश बापट ने एमपीजे को राशन के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया. श्री शब्बीर देशमुख के नेतृत्व में एक डेलीगेशन द्वारा मंत्री महोदय से मुलाक़ात कर के इस विषय पर विस्तार से चर्चा की गई. मा. श्री गिरीश बापट ने एमपीजे के कार्यों की सराहना करते हुए राशन से वंचित लोगों को पीडीएस से जोड़ने का भरोसा दिलाया है.  

  

एमपीजे के अन्न अधिकार अभियान के तहत प्रदेश के अनेक स्थानों पर धरना –प्रदर्शन का सफ़ल आयोजन




                                                                  
मुंबई: अन्न का अधिकार जीने का अधिकार का नारा बुलंद करते आज यहाँ प्रदेश के अलग अलग कोने से आये राशन से वंचित नागरिकों को प्रदेश सरकार से भीख नहीं उन्हें उनका अधिकार देने की मांग करते देखा गया. मुंबई के आज़ाद मैदान में बड़ी तादाद में राशन से वंचित लोग जमा हो कर अन्न के अधिकार के लिए धरने पर बैठे नज़र आये.

प्रदेश की जन आन्दोलन "मुव्हमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर" (MPJ) के प्रदेश उपाध्यक्ष रमेश कदम ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि, “अन्न  का अधिकार भारत के नागरिकों का एक मौलिक अधिकार है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने एक फ़ैसले में कहा था कि यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है कि देश में कोई भी भूखा न रहे. लेकिन, यह एक कड़वा तथ्य है कि देश की सबसे समृद्ध अर्थव्यवस्था के रूप में  जाने जाने वाले प्रदेश महाराष्ट्र में भी भूख से संबंधित मौत होने की घटनाएँ घटित होती रही हैं.  भारत सरकार ने भूख की समस्या से निपटने के लिए वर्ष  2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) लागू किया.  लेकिन देश में खाद्य सुरक्षा होने के बावजूद लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं.   अधिकांश लोगों को एनएफएसए द्वारा प्रदत्त उनके खाद्य सुरक्षा अधिकार नहीं मिल पा रहा है.” 

एमपीजे के मुंबई अध्यक्ष शब्बीर देशमुख ने बताया कि, “प्रदेश में टी पी डी एस के तहत हक़दार लोगों को  राशन नहीं मिलने और निर्धारित कोटे से कम मिलने की शिकायत आम है.  पीड़ित उपभोक्ता सरकारी कार्यालय के चक्कर काटता रह जाता है, किन्तु उसकी सुनने वाला कोई नहीं है.”

आप को बता दें कि, मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने महारष्ट्र में नागरिकों के अन्न अधिकार को लेकर एक राज्यव्यापी जनजागरण अभियान आयोजित किया था. यह अभियान दिनांक 5 जनवरी 2019 को शुरू हुआ था और 31 जनवरी 2019 को ख़त्म होगा. इस अभियान के अंतिम चरण में एमपीजे द्वारा प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में वंचितों को उनके जीने का हक़ देने हेतु आज धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया है और सरकार से मांग की गई है कि जनता को उनके जीने का अधिकार दिया जाए. इस अभियान के तहत एमपीजे ने प्रदेश में जनजागरण अभियान चला कर जनता को उनके अन्न अधिकार के मामले में जागरूक करने के साथ साथ सरकार से महाराष्ट्र में लक्षित जन वितरण प्रणाली के तहत राशन वितरण को न्यायसंगत और पारदर्शी बनाने की मांग की है.

प्रेस को संबोधित करते हुए एमपीजे के प्रदेश अध्यक्ष मुहम्मद सिराज ने कहा कि, “वर्ष 2013 में जब अन्न सुरक्षा क़ानून आया, उस समय महाराष्ट्र में 8 करोड़ 77 लाख लोग अन्न सुरक्षा का लाभ पा रहे थे, किन्तु उक्त क़ानून के तहत सात करोड़ लोगों को अन्न सुरक्षा देने का प्रावधान किया गया था, जिससे 1 करोड़ 77 लाख लोग अन्न सुरक्षा से वंचित हो गए थे. तत्कालीन सरकार ने बाज़ार भाव पर केंद्र सरकार से अनाज लेकर उन वंचित हो गए लोगों को सब्सिडी प्रदान कर के पीडीएस का लाभ दिया था. किन्तु वर्ष 2014 में वर्तमान  सरकार के आने के पश्चात् उन लोगों का सब्सिडी आधारित  राशन बंद हो गया.  राशन वितरण हेतु डिजिटल सिस्टम अपनाये जाने के कारण भी एक करोड़ दस लाख लोग अन्न सुरक्षा के लाभ से वंचित हो गए.  इस तरह प्रदेश में कुल 2 करोड़ 87 लाख लोगों को अन्न सुरक्षा से वंचित कर दिया गया है.” 

उन्हों ने कहा कि हम महाराष्ट्र सरकार से मांग करते हैं कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा एक अधिकार है, इसलिए खाद्य सुरक्षा कवर से एक भी गरीब और कमजोर को बाहर नहीं छोड़ा जाए. इसके अलावा NFSA के तहत एक करोड़ से अधिक पात्र लाभार्थी आधार आधारित पीडीएस प्रणाली में तकनीकी गड़बड़ी के कारण राशन की दुकानों से राशन उठाने में असमर्थ हैं, इसलिए जब तक अंतिम व्यक्ति को AePDS में सफलतापूर्वक पंजीकृत नहीं कर लिया जाता है, तब तक एक भी पात्र लाभार्थी को खाद्य सुरक्षा से वंचित नहीं किया जाए. साथ ही प्राधान्य लाभार्थियों  के लिए 59,000 की वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर 1 लाख कर दिया जाए तथा खाद्य सुरक्षा नेट में अक्टूबर 2014 से राशन से वंचित कर दिए गए 1.77 करोड़ एपीएल- ऑरेंज कार्ड धारकों  को वापस लाया जाए.

अकोला 










अमरावती  

  
 
                                                                     लातूर 
                 




                                                                    मुंबई 












                                                                  नागपुर 



नांदेड़ 








                                                                    जालना 




MPJ के हस्तक्षेप के बाद, भ्रष्ट राशन डीलरों के खिलाफ शिकायत दर्ज

  

मुंबई: आज मुव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) द्वारा कुर्ला के शिधा वाटप कार्यालय में लगभग दो सौ राशन कार्ड धारकों के राशन नहीं मिलने या कम मिलने की शिकायत दर्ज करवाई गई. आप को बता दें कि इस क्षेत्र के बहुत सारे राशन कार्ड धारकों को सार्वजानिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत राशन डीलरों द्वारा या तो राशन दिया ही नहीं जा रहा है या उपभोक्ता को मिलने वाले राशन की मात्रा से काफ़ी कम राशन दिया जा रहा है. कार्डधारकों द्वारा सम्बंधित कार्यालय में राशन डीलरों के विरुद्ध लिखित शिकायत को भी स्वीकार नहीं किया जा रहा था.

गौर तलब है कि एमपीजे द्वारा 5 जनवरी 2019 से अन्न अधिकार पर एक राज्यव्यापी जनजागरण अभियान शुरू किया गया है जो  31 जनवरी 2019 को ख़त्म होगा. इसी अभियान के तहत एमपीजे की मुंबई जिला यूनिट द्वारा चलाये जा रहे जनजागरण अभियान के तहत मुंबई के अनेक स्थानों पर राशन नहीं मिलने या निर्धारित कोटे से कम मिलने की शिकायत प्राप्त हुई थी. लोगों ने बताया कि सम्बंधित राशन कार्यालय में कोई उनकी लिखित शिकायत को भी स्वीकार नहीं करता है और हमें वहां से भगा  दिया जाता है. इस आम शिकायत के मद्दे नज़र एमपीजे मुंबई यूनिट के पदाधिकारियों ने सम्बंधित शिधा वाटप कार्यालय में अधिकारीयों से भेंट कर के पब्लिक की समस्याओं के समाधान हेतु अनुरोध किया, जिसके बाद आज लगभग दो सौ लोगों की लिखित शिकायत शिधा वाटप कार्यालय ने स्वीकार किया और सम्बंधित अधिकारीयों द्वारा इन शिकायतों पर उचित कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया गया.

आप को बता दें कि, इस अन्न अधिकार अभियान के तहत एमपीजे का फोकस वह तीन करोड़ लोग हैं, जिन्हें पीडीएस के अंतर्गत राशन से वंचित कर दिया गया है. सर्वविदित है कि, सरकार ने लक्षित जन वितरण प्रणाली के तहत ग्रामीण क्षेत्र में 76% और शहरी क्षेत्र में 45% जनसँख्या को कवर करने का लक्ष्य तय किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. आप को बता दें कि, शहरी क्षेत्र में लक्षित जन वितरण प्रणाली के तहत राशन पाने हेतु वार्षिक आय की सीमा 59,000/- और ग्रामीण क्षेत्र के लिए 44,000/- तय किया गया है. अभी तक सरकार अपने तयशुदा लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाई है.  इसलिए एमपीजे इस अभियान के तहत राज्य के विभिन्न स्थानों पर जनजागरण कार्यक्रम चला रही है.

गौर तलब है कि वर्ष 2013 में जब अन्न सुरक्षा क़ानून आया, उस समय महाराष्ट्र में 8 करोड़ 77 लाख लोग अन्न सुरक्षा का लाभ पा रहे थे, किन्तु उक्त क़ानून के तहत सात करोड़ लोगों को अन्न सुरक्षा देने का प्रावधान किया गया था, जिससे 1 करोड़ 77 लाख लोग अन्न सुरक्षा से वंचित हो गए थे. तत्कालीन सरकार ने बाज़ार भाव पर केंद्र सरकार से अनाज लेकर उन वंचित हो गए लोगों को सब्सिडी प्रदान कर के पीडीएस का लाभ दिया था.

किन्तु वर्ष 2014 में नई सरकार के आने के पश्चात् उन लोगों का सब्सिडी आधारित  राशन बंद हो गया. इसके अलावा राशन वितरण हेतु डिजिटल सिस्टम अपनाये जाने के कारण एक करोड़ दस लाख और लोग अन्न सुरक्षा के लाभ से वंचित हो गए.  इस तरह प्रदेश में 2 करोड़ 87 लाख लोगों को अन्न सुरक्षा से वंचित कर दिया गया है.


इस अभियान के तहत एमपीजे की मांग है कि वर्ष 1997 के वार्षिक आय सीमा के अनुसार केसरी कार्ड धारकों यानि एक लाख रुपये वार्षिक आय वाले परिवारों को अन्न सुरक्षा का लाभ दिया जा रहा था, तो अभी वार्षिक आय सीमा 59000/- से एक लाख किया जाना चाहिए और जो 2 करोड़ 87 लाख लोग वंचित कर दिए गए हैं, उन्हें अन्न सुरक्षा का लाभ प्रदान किया जाना चाहिए.




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