An Interview With Dr. Abhay Shukla on Health Issues

Media Coverage: Anti Farmer Bills' Activities

 





















 

 

 

सरकार किसान विरोधी कृषि विधेयकों को वापस ले और कृषि उपज की कीमत पर किसानों को सुरक्षा प्रदान करे: एम.पी.जे.

मुंबई: देश में विवादास्पद कृषि बिलों के विरोध में किसान सड़कों पर उतर आए हैं.  ये तीन विवादास्पद कृषि बिल न केवल किसान विरोधी हैं बल्कि आम आदमी विरोधी भी हैं. उल्लेखनीय है कि,  “आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020” में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, और आलू- प्‍याज़ आदि को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान जनहित में नहीं है. भले ही सरकार अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, और आलू- प्‍याज़ आदि को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटा दे, लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि, ये कृषि उत्पाद जीवन-यापन के लिए आवश्‍यक वस्तुएं हैं. इस संशोधन से इन खाद्य वस्तुओं के उत्पादन, भंडारण, संचालन और वितरण पर से सरकारी नियंत्रण ख़त्म हो जाएगा और व्यापारी इन उत्पादों की जमाखोरी करेंगे और इसका सीधा असर आम जन की जेब पर पड़ेगा.

 

दुसरे कृषि विधेयक “कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020” में एक ऐसे इकोसिस्टम बनाने की बात की जा रही है, जहां किसान और व्यापारी मंडी से बाहर फ़सल बेचने के लिए आज़ाद होंगे.

इस से मंडिया ख़त्म होंगी और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित होना पड़ेगा. क्योंकि मंडी से बाहर मूल्य निर्धारित होने से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था अप्रासंगिक हो जाएगी और MSP स्वतः ख़त्म हो जाएगा, जो देश के तक़रीबन 85% किसानों के हित में नहीं होगा. इसके अलावा मंडी ख़त्म होने का असर हजारों कमीशन एजेंट, लाखों मंडी मज़दूर और भूमिहीन खेतिहर मज़दूरों पर पड़ेगा, जो देश के वर्त्तमान आर्थिक संकट को और बढ़ाने का कारण बनेगा. 

 

तीसरे कृषि विधेयक “कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर क़रार विधेयक, 2020” के द्वारा किसानों को आज़ादी देने की बात की जा रही है, लेकिन कांट्रैक्ट फार्मिंग में कंपनियां किसानों का शोषण करेंगी और किसान कॉर्पोरेट का ग़ुलाम बन कर रह जाएगा. मूल्य आश्वासन विधेयक, मूल्य शोषण के खिलाफ किसानों को सुरक्षा प्रदान करने वाले किसी मूल्य निर्धारण के लिए तंत्र (Price Fixation Mechanism) की बात नहीं करता है. स्पष्ट है कि निजी कॉरपोरेट घरानों को दिए जाने वाले फ्री हैंड से किसानों का शोषण होगा.


श्रीमान से निवेदन है कि, उपरोक्त क़ानूनों  के लागू होने के बाद कृषि क्षेत्र भी कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका सीधा नुक़सान किसानों के साथ साथ आम जन को होगा. इसलिए आप से निवेदन है कि, जनहित में इन किसान और जन विरोधी विधेयकों को वापस करने का कष्ट करें और देश के किसानों को न्याय प्रदान करें. इसके साथ ही कृषि उत्पादों के लिए मूल्य सुरक्षा तंत्र लागू करने हेतु आवश्यक क़दम उठाए जाएँ. इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम क़ीमत पर की गई ख़रीद को ग़ैर क़ानूनी घोषित किया जाए ताकि, ये सुनिश्चित हो सके कि, किसान चाहे अपने उत्पाद मंडी में बेचे या मंडी से बाहर, उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दाम पर अपने उत्पाद बेचना न पड़े.


राज्य की प्रसिद्ध जन आंदोलन मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर आज महाराष्ट्र के कई जिलों में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स के माध्यम से देश  के राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंप कर तीनों विवादास्पद बिलों को  वापस लेने की गुहार लगाई है. आज अकोला, अमरवाती, परभणी, जलगाँव, नांदेड़, जालना, नागपुर, शोलापुर, नाशिक, यवतमल,पुणे, ठाणे और औरंगाबाद जिलों सहित प्रदेश के अनेक जिलों में ज्ञापन सौंप कर किसान एवं जन विरोधी बिलों को वापस करने और कृषि उत्पाद के लिए मूल्य सुरक्षा तंत्र निर्धारित करने हेतु आवश्यक कदम उठाने का आह्वान भी किया है, ताकि किसान एपीएमसी बाजारों में या बाजारों के बाहर अपनी उपज बेचे उसे अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके. 



Amravati



Akola


Jalgaon


Jalna


Nashik


Nagpur


Nanded


Parbhani

लॉकडाउन के दौरान संसाधन विहीन लोगों को होने वाली परेशानियों को दूर करने हेतु सरकार उचित क़दम उठाए






देश में कोरोना वायरस नामी प्राकृतिक आपदा की वजह से संपूर्ण लॉकडाउन है, जिसके कारण जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. लोग घरों में क़ैद हो गए हैं. हमारे यहाँ तक़रीबन 94% लोग असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं और इनमें अधिकांश रोज़ कमाने खाने वाले लोग हैं. प्रदेश में बड़ी तादाद में अप्रवासी कामगार भी रहते हैं. लॉकडाउन की वजह से न केवल निजी और असंगठित क्षेत्र में कार्यरत लोगों की आमदनी बन्द हो गई है, बल्कि होटल, रेस्टोरेंट और समस्त खाने के काउंटर्स बंद होने के कारण बड़ी संख्या में लोगों के सामने भूखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है.  इसके अलावा आंगनवाड़ी, बालवाड़ी, स्कूल आदि बन्द होने के कारण ग़रीब और वंचित वर्ग के बच्चों को मिड डे मील  के तहत मिलने वाले एक वक़्त के भोजन की सुविधा भी छिन गई है.

एम पी जे ने प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान लोगों को होने वाली परेशानियों के मददे नज़र मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप कर निम्नलिखित मांगे रखी हैं:

1.     तमाम राशनकार्ड धारकों, चाहे किसी भी केटेगरी का कार्डधारक हो, दो महीने का राशन मुफ़्त मिलना चाहिए.
2.    तमाम रजिस्टर्ड बांधकाम मजदूरों के खाते में कम से कम 5000/- (पांच हज़ार रूपए) उनके वेलफेयर फण्ड से जमा होना चाहिए.
3.    प्रदेश सरकार द्वारा तमाम अनरजिस्टर्ड बांधकाम मज़दूरों तथा अन्य असंगठित क्षेत्र कामगारों को मिनिमम वेजेज़ एक्ट के अनुसार दो महीने की पगार अविलम्ब दिया जाना चाहिए.
4.    समस्त सामाजिक पेंशन लाभार्थियों के खाते में दो महीनों का पेंशन जमा होना चाहिए.
5.    प्रदेश में जगह जगह शिव थाली का प्रबंध किया जाना चाहिए.
6.    सरकार द्वारा कम्युनिटी किचन की व्यवस्था कर के प्रभावित लोगों को अविलम्ब राहत पहुँचाने का काम करना चाहिए.


इसके अलावा एम पी जे ने लॉकडाउन के दौरान राहत तथा जन कल्याण कार्यों के लिए प्रदेश सरकार को अपनी सेवाएँ भी पेश की हैं.  

Highlights of Jan Adhikar Adhiveshan: 02.02.2020


एम पी जे का जन अधिकार अधिवेशन सफलतापूर्वक संपन्न




मुंबई: जनता के अधिकारों पर आज यहाँ “जन अधिकार अधिवेशन” के नाम से एक अखिल महाराष्ट्र सम्मलेन का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश में जन अधिकारों की प्रदानगी (Delivery) को लेकर चिंता व्यक्त की गई.

प्रदेश के अलग-अलग भागों से आए हुए आम जन को संबोधित करते हुए मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर” (एम पी जे) के प्रदेश अध्यक्ष, मुहम्मद सिराज ने कहा कि, देश का संविधान समस्त नागरिकों को इज्ज़त वाली ज़िन्दगी जीने का अधिकार प्रदान करता है. लेकिन देश में भूख की वजह से मौतें होती हैं. भारत में भूख एक बड़ी समस्या बनी हुई है. भारत दुनिया के उन 45 मुल्कों में शामिल है जहां भूख की समस्या गंभीर है.   महाराष्ट्र में 2 करोड़ से भी ज़्यादा लोग कुपोषण के शिकार हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ प्रदेश की कुल आबादी का 30 प्रतिशत हिस्सा ग़रीबी रेखा के नीचे ज़िन्दगी बसर करने को मजबूर है, जबकि हक़ीक़त में इस से कहीं ज़्यादा लोग ग़रीबी रेखा से नीचे ज़िन्दगी जी रहे हैं. प्रदेश में गरीबी दर 18% है, जो राष्ट्रीय औसत के बहुत करीब है.  उन्हों ने प्रदेश की बदहाल प्राथमिक शिक्षा और पब्लिक हेल्थकेयर संस्थानों की ओर भी लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि आज न तो बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन मिल रही है और न ही दर्जेदार आरोग्य सेवा.
   
इस अधिवेशन में शिक्षा के अधिकार के तहत जनता को मिल रहे अधिकारों कि वर्तमान स्थिति पर बात करते हुए प्रोफेसर सैयद मोहसिन ने कहा कि, सरकारी स्कूलों में लर्निंग आउटकम एक बड़ी समस्या बन कर उभरी है. उन्हों ने भारत सरकार के द्वारा जारी किए गए एनुअल सर्वे ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि हमारे बच्चों को दर्जेदार शिक्षा नहीं मिल रही है. इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक़ पांचवीं क्लास के तकरीबन 70% बच्चे आसान अंकगणितीय गणना (Arithmetic Calculation) नहीं पाते हैं. पहली क्लास के 40% बच्चे अक्षर तक नहीं पहचानते. क्लास 5 के लगभग 50 प्रतिशत छात्र क्लास दो  के पाठ को ठीक ढंग से नहीं पढ़ पाते हैं. जिसकी वजह से कमज़ोर बच्चे क्लास नौ में फ़ेल हो जाते हैं और ये स्कूल ड्रॉपआउट बच्चे या तो असामाजिक कार्य में लिप्त हो जाते हैं या फिर असंगठित क्षेत्र में नज़र आते हैं. 

प्रदेश में आरोग्य की वर्तमान स्थिति पर हेल्थ एक्टिविस्ट डॉ.अभिजीत ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि आरोग्य ही संपत्ति है, लेकिन सरकार की उदासीनता की वजह से प्रदेश में पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बीमार हो चूका है. सरकार बजट कम करती जा रही है. प्रदेश में सिर्फ़ 20% लोग सरकारी अस्पतालों में जाती है, बाक़ी लोग महंगे प्राइवेट हॉस्पिटल्स में इलाज कराने को मजबूर हैं. उन्हों ने कहा कि, सरकार के पास चंद्रयान के लिए पैसे हैं, किन्तु प्रदेश में दर्जेदार आरोग्य सेवा की प्रदानगी के लिए पैसे नहीं हैं.

असंगठित क्षेत्र कामगारों के कल्याण और उनके अधिकारों पर लेबर मुव्हमेंट एक्टिविस्ट मधुकांत पथारिया ने मार्गदर्शन प्रदान किया. उन्हों ने मजदूरों को मिलने वाले लाभ में आ रही बाधाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि एक मज़दूर दूसरों का घर तो अपना खून पसीना एक कर के बना डेटा है, किन्तु उसे रहने के लिए ख़ुद के पास घर नहीं है. मजदूरों के लिए अनेक लाभों का क़ानून प्रावधान होते हुए, उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.  

इस अधिवेशन में लोगों के अधिकारों के हनन पर एक जन सुनवाई का आयोजन किया गया. जन सुनवाई को मुंबई हाई कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता गायत्री सिंह और टाटा इंस्टिट्यूट सोशल साइंसेज के फैकल्टी मेम्बर महेश काम्बले जज किया.

इस अधिवेशन के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध कार्यकर्त्ता और भूतपूर्व आई ए एस अधिकारी हर्ष मंदर ने देश में जन अधिकारों की डिलीवरी पर चिंता व्यक्त करते हुए जन अधिकरों की प्राप्ति पर मार्गदर्शन प्रदान किया. उन्हों ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि, आज आप यहाँ जन अधिकारों की बात करने के लिए जमा हुए हैं, लेकिन अधिकार तो नागरिकों के होते हैं. आज देशवासियों के सामने ख़ुद को नागरिक साबित करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.

अधिवेशन में महाराष्ट्र सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मालिक भी मौजूद थे. उन्हों ने जन सुवाई के दौरान लोगों की शिकायतें सुनीं और भरोसा दिलाया कि उनके पास जो भी शिकायतें आती हैं, उनका समाधान करने हेतु आवश्यक क़दम उठाया जाएगा. अधिवेशन की अध्यक्षता जमाअत-ए-इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने की.












       

               
               

                   
           
                    
                    

                    
                    

                                                                  
                                         
                     

एम पी जे का जन अधिकार अधिवेशन हज हाउस में आयोजित होगा



मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर (एम पी जे) द्वारा 02 फ़रवरी 2020 रविवार को हज हाउस, मुंबई में जन अधिकारों पर अखिल महाराष्ट्र सम्मलेन का आयोजन किया जा रहा है. इस बात की घोषणा मुहम्मद सिराज, अध्यक्ष, मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर द्वारा मुंबई मराठी पत्रकार संघ में एक प्रेस वार्ता के दौरान की  गई. मीडिया को संबोधित करते हुए मुहम्मद सिराज ने  देश में जन अधिकारों की प्रदानगी (Delivery) पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ तो हमारा संविधान देश के हर नागरिक को गरिमापूर्ण ज़िन्दगी जीने की गारंटी देता है, दूसरी तरफ़ महाराष्ट्र में करोड़ों लोग पीड़ा और अभाव में ज़िन्दगी बसर करते दिखाई दे रहे हैं.

उन्हों ने बताया कि हम ने पिछले छह महीनों के दौरान जमीनी स्तर पर जा कर लोगों की समस्याओं को जानने और उनकी शिकायत को सम्बंधित अथॉरिटी तक पहुँचाने की कोशिश की है. अब एम पी जे जन अधिकार अधिवेशन का आयोजन करने जा रही है, जिसमें महाराष्ट्र शासन के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया  है. अधिवेशन में विशिष्ट सामाजिक कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों द्वारा जन अधिकार पर मार्गदर्शन प्रदान किया जाना है. जिनको अधिकार नहीं मिल रहे हैं, उनकी शिकायतों पर जन सुनवाई का आयोजन किया गया है. एम पी जे का प्रयास  है कि संविधान जिस व्यक्ति की गरिमा (Dignity of individual) की  बात करती है, वह अक्षरशः लोगों की ज़िन्दगी में दिखनी चाहिए.

उन्हों ने बताया कि, पहले अधिवेशन आज़ाद मैदान में होना था, लेकिन अब जन अधिकार अधिवेशन हज हाउस मुंबई में 02 फ़रवरी 2020 को दोपहर 02:00 बजे आयोजित होगा. इस अवसर पर संगठन के महासचिव अफ़सर उस्मानी और सचिव अल्ताफ़ हुसैन भी मौजूद थे.






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