कॉर्पोरेट ऋण माफ करने के बजाए लोकहित के मदों पर खर्च किया जाए, तो देश की अधिकांश समस्याएं समाप्त हो जाएँगी: नीरज जैन




मुंबई: मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर ने आज यहां "वर्तमान परिस्थितियों में सामाजिक सक्रियता की गुंज़ाइश" पर एक सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किया.   इस अवसर पर एमपीजे के प्रदेश अध्यक्ष मुहम्मद सिराज ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि लोग केंद्र में सत्ता परिवर्तन की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन चुनाव परिणाम हमारे सामने हैं.  भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत से चुनाव जीत कर सत्ता पर अपना क़ब्ज़ा बरक़रार रखा है. यह देश की जनता का निर्णय है. आरोप-प्रत्यारोप और दोषारोपण व्यर्थ ही नहीं, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों के ख़िलाफ़ है. क्योंकि लोकतंत्र में जनमत ही सर्वोपरी होता है और हमें इसका सम्मान करना चाहिए.

उन्हों ने कहा कि, यह सच है कि इस लोकसभा चुनाव में जनता के वास्तविक मुद्दों को दरकिनार करते हुए छद्म राष्ट्रवाद और देशभक्ति को मुद्दा बनाया गया, जो हमारे वास्तविक मुद्दे हैं ही नहीं. आज देश की जनता के सामने अनेक समस्याएं विकराल रूप धारण किये खड़ी हैं, जिसका हल हमें ढूँढना है.  किन्तु हमें हताश और निराश होने की ज़रुरत नहीं है. हमें जनता के बीच जाना होगा और उनके वास्तविक मुद्दों पर बात करनी होगी. सरकार को यह याद दिलाना होगा कि संविधान प्रत्येक नागरिक को गरिमामय जीवन जीने की गारंटी देता है.

सभा को संबोधित करते हुए जनता साप्ताहिक के एसोसिएट एडिटर तथा लोकायत नामी ग़ैर सरकारी संगठन के संयोजक नीरज जैन ने दुनिया में बढ़ते हुए फ़ासीवाद के कारणों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि देश में फ़ासीवाद बड़ी तेजी से बढ़ रहा है. देश के संविधान पर ख़तरा मंडरा रहा है. देश के सामने आर्थिक संकट एक बड़ी चुनौती बन कर उभरी है. सत्ता का सुख भोग रहे लोग राष्ट्र हित एवं जनहित की परवाह किए बग़ैर पूंजीपतियों को फ़ायेदा पहुँचाने में लगे हैं. पूंजीपति वर्ग को अपने फ़ायेदे के लिए देश के बैंकों के पैसों से लेकर प्राकृतिक संसाधनों तक का इस्तेमाल करने की खुली छूट है. इतना ही नहीं, मुल्क के पूंजीपतियों ने जो हमारी अर्थव्यवस्था को चुना लगाया है, उसकी भरपाई भी हम विदेशी क़र्ज़ों से कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जितना पैसा हम कॉर्पोरेट ऋण को माफ करने के लिए ख़र्च कर रहे हैं, अगर उसे लोकहित के मदों पर खर्च किया जाता, तो देश की अधिकांश समस्याएं समाप्त हो सकती थी. उन्होंने कहा मोदी सरकार स्वतंत्र भारत में सबसे अधिक किसान विरोधी सरकार साबित हुई है. भाजपा की नीतियों के कारण देश में बेरोज़गारी बहुत गंभीर समस्या बन गई है.



पूर्व बीबीसी संपादक और पूर्व टीवी टुडे के प्रबंध संपादक रिफ़त जावेद ने कहा कि, आज देश में भ्रष्टाचार, भूख, बीमारी और बेरोज़गारी जैसी अनेक समस्याएं हैं, जिसने आम आदमी की ज़िन्दगी को नारकीय बना दिया है. आज देश में एक विशेष समुदाय के विरुद्ध नफ़रत पैदा करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन नफ़रत का जवाब नफ़रत नहीं हो सकता है, बल्कि नफ़रत को मुहब्बत ही ख़त्म कर सकती है. उन्हें देश में नैतिक मूल्यों पर आधारित राजनीतिक विकल्प पेश करने और जनसमस्याओं को ख़त्म करने के लिए अपनी पहचान के साथ  आगे आना होगा.

उन्होंने कहा कि यूरोप में भूख, बीमारी और जिहालत कोई समस्या नहीं है, लेकिन प्राकृतिक एवं मानव संसाधनों के धनी देश भारत में आज भी ये समस्याएं गंभीर बनी हुई हैं. देश का सामाजिक बजट सिकुड़ता जा रहा है.

इस कार्यक्रम में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. महेश काम्बले की भी गरिमामय उपस्थिति रही.

2 comments:

  1. Jo mp 30 saal se jeet kar ate hain un k retirement par pention de jaye us se kam walon ko na di jaye.

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  2. ekdum Sahi Kaha... ek vishisht samuday ke khilaf Desh Mein Nafrat Silai ja rahi hai fasiwad bahut badi chuka hai Sarkar ko chahi keva Kisan aur majdur par Jyada Se Jyada Dhyan de..

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