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एमपीजे का किसान अधिकार अभियान धुले में किसान मेळावा के सफ़ल आयोजन के साथ संपन्न



एमपीजे का किसान अधिकार अभियान, जो 12 दिसम्बर को शुरू हुआ था, आज संपन्न हो गया. इस अभियान के अंतिम चरण में धुले में किसान मेळावा आयोजित किया गया, जिस में प्रदेश के कई भागों विशेषतः मराठवाड़ा और विदर्भ के किसानों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही. इस जन सभा को प्रसिद्ध शेतकरी लीडर श्री विजय जावंधिया, श्री एस बी पाटिल और प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं सचिव, लोक संघर्ष मोर्चा श्रीमती प्रतिभा शिंदे ने संबोधित करते हुए किसान और सरकार की ज़िमीदारियाँ, देश में किसानों के भूत, वर्त्तमान एवं भविष्य तथा सतत एवं सर्वसमावेशी विकास जैसे मुद्दों पर मार्गदर्शन प्रदान किया.

इस अवसर पर जनसभा में उपस्थित किसानों द्वारा प्रदेश में किसान समस्या के समाधान हेतु निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किया गया:

v  डॉ० स्वामी नाथन आयोग की  सिफारिशों को अविलम्ब लागु किया जाए,

  v  पिछले 10 साल में आत्महत्या कर चुके किसानों के परिवार को पांच लाख रुपये बतौर मुआवज़ा मिले और उनके परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए.

v  समर्थन मुल्य तय करते समय कुल उत्पादन लागत पर ५०% की दर से लाभ दिया जाए,

v  बिना किसी शर्त के समस्त कृषि ऋण माफ़ किया जाए,

v  किसानो और शेतकरी मजदूरों के लिए आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा क़ानून बनाया जाए,

v  सिंचाई हेतु प्राकृतिक स्रोत पर निर्भर किसानों के लिए विशेष योजना बनाई जाए और बुवाई से कटाई तक के काम म.न.रे.गा के अंतर्गत किये जाएँ,

v  कृषि कार्य हेतु ब्याज रहित क़र्ज़ दिया जाए,

v  लघु एवं सीमान्त किसानों को ६० वर्ष की आयु के बाद पेंशन देने की योजना शुरू की जाए,

v  किसानों को सिंचाई के लिए निर्बाध रूप से बिजली उपलब्ध कराने के साथ साथ नलकूप की बिजली निःशुल्क उपलब्ध करायी जाए,

v  खेती में काम आने वाली सभी वस्तुओं को जीएसटी से मुक्त किया जाए,

v  किसान को स्वास्थ्य बीमा कार्ड प्रदान किया जाए,

  v  विकास परियोजनाओं के नाम पर किसानों से बलपूर्वक भूमि अधिग्रहण पर रोक लगे एवं भूमि अधिग्रहण को केन्द्रीय सूची में रखते हुए राज्यों को किसान विरोधी कानून बनाने से रोका जाए तथा

v  प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को लाभ मिलने के बजाए बीमा कम्पनियों को लाभ मिल रहा है. योजना में बदलाव करते हुए प्रत्येक किसान को इकाई मानकर सभी फसलों में स्वैच्छिक रूप से लागू किया जाए. योजना में बदलाव करते हुए चोरी, आगजनी आदि को शामिल किया जाए. प्रीमियम का पूर्ण भुगतान सरकारों द्वारा किया जाए.


किसानों के उक्त मांगों को एमपीजे महाराष्ट्र सरकार तक पहुंचायेगी.


22 दिसम्बर को धुळे में होगा किसान मेळावा



           
                                                                            Video

मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर के उपाध्यक्ष रमेश कदम ने प्रदेश के किसान भाइयों से 22 दिसम्बर को धुळे में आयोजित होने वाले किसान मेळावा में बड़ी तादाद में शामिल होने की अपील करते हुए कहा कि, देश के अन्न उत्पादक के लिए आज तक किसी भी सरकार ने गंभीरतापूर्वक न तो कोई पालिसी बनाई और न ही किसानों को उसका जाएज़ हक़ देने के लिए कोई गंभीर प्रयास किये. सियासी पार्टियों को किसानों की याद तो सिर्फ चुनाव के समय ही आती है. उनसे सिर्फ़ वायदे ही वायदे होते रहे और किसानों की दशा दिनोंदिन ख़राब होती रही. किसान हताश हो कर ख़ुदकुशी करता रहा.

उन्होंने किसानों को संबोधित करते हुए कहा किमैं सब से पहले किसान भाइयों से विनम्र निवेदन करना चाहता हूँ किहालात से हार कर ज़िन्दगी ख़त्म कर लेना समस्या का हल नहीं है. आप की ज़िन्दगी आप के परिवार और देश के लिए बहुत अहम है. आप ज़िन्दगी से हार कर जान देने के बजाये अपने हक़ लेने के लिए संघर्ष कीजिये. अपने हक़ के लिए आप को खुद लड़ना होगा. हम आप के साथ हैं. देश की आम जनता आप के साथ है. हम आप की लड़ाई में शुरू से ही सहभागी रहे हैं.

रमेश कदम ने कहा कि, आप को बता दूं किमुव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) आप का हक़ दिलाने के लिए हमेशा ही अपनी आवाज़ें बुलंद करती रही है.  हम आप के साथ खड़े हैं. एमपीजे ने 12 दिसम्बर से महाराष्ट्र में किसान अधिकार अभियान चलाया हुआ है. इस अभियान के तहत 22 दिसम्बर को धुले में किसान मेळावा आयोजित किया जायेगा. जिसमें श्री विजय जवांधियाश्री प्रकाश पोहरे और श्रीमती प्रतिभा शिंदे आदि शामिल होंगे और आपकी समस्याओं पर चिंतन-मनन कर के एक निर्णायक लड़ाई की रूप रेखा बनायेंगे. मैं किसान भाइयों से अपील करता हूँ कि इस मेळावा में ज़रूर भाग लें. 


एमपीजे ने लांच किया किसान अधिकार अभियान, धुळे में होगा किसान मेळावा


मुव्मेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने दस दिवसीय किसान अधिकार अभियान की शुरुआत 12 दिसम्बर को जलगाँव से की है. इस  अभियान का उद्देश्य किसानों को उसका न्यायोचित अधिकार दिलाना है.

गौर तलब है कि, आज देश का किसान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर हो चला है. सर्वविदित है कि आज भी देश में 65 से 70 फ़ीसदी लोग रोज़ी-रोटी के लिए कृषि और कृषि आधारित कामों पर निर्भर हैं. किन्तु किसानों और शेतकरी मजदूरों की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण किसानों द्वारा स्वयं ही अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेना है.

आज किसानों के सामने अनेक समस्याएँ विकराल रूप धारण किये खड़ी हैं. किसान सूखे से परेशान है. सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है. धरती से जल निकालने हेतु बिजली उपलब्ध नहीं होती है. उन्हें  फसल की उचित क़ीमत नहीं मिलती है.  वन्य प्राणियों से भी किसानो की फसल बर्बाद होती रहती है, किन्तु वन विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती. किसान क़र्ज़ के जाल में फंसा हुआ है. देश की भूख मिटाने के लिए रात-दिन एक कर के खून-पसीना बहाने वाली शेतकरी कम्युनिटी की परेशानियाँ ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. आज विडम्बना यह है कि, जय जवान-जय किसान के नारे वाले देश में किसान अपने बच्चों को चपरासी तो बनाना चाहता है, किन्तु अन्न उत्पादक नहीं.

आज तक किसानों की समस्याओं पर सरकारें सिर्फ राजनीति ही करती आईं हैं. चुनाव के समय वर्तमान सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, अच्छी सिंचाई व्यवस्था करने, निर्बाध रूप से विद्युत् आपूर्ति करने तथा कृषि ऋण माफ़ करने जैसे अनेक सब्ज़ बाग़ किसानों को दिखाए गए, किन्तु अभी तक प्रदेश के किसान इन लोकलुभावन घोषणाओं के लागू होने का इंतज़ार ही कर रहे हैं. किसानों की इस दुर्दशा पर मुव्मेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) शुरू से ही अपनी आवाजें बुलंद करती आई है.

गौर तलब है कि, एमपीजे एक राष्ट्रीय जनांदोलन है और शेतकरी समुदाय को इन्साफ़ दिलाने के प्रतिबद्ध है. इसी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु एमपीजे ने किसान अधिकार अभियान 12 दिसम्बर से शुरू किया है, जिसके तहत आम जनता से लेकर पालिसी निर्माताओं तक शेतकरी समस्याओं को पहुँचाया जायेगा. अभियान का समापन धुळे में 22 दिसम्बर को संगठन द्वारा आयोजित शेतकरी मेळावा में होगा, जहाँ प्रदेश के कोने-कोने से शेतकरी बन्धु जमा होने वाले हैं. इस शेतकरी मेळावा का मार्गदर्शन प्रसिद्ध शेतकरी लीडर श्री विजय जावंधिया, श्री प्रकाश पोहरे, मुख्य संपादक दैनिक देशोन्नति और सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं सचिव, लोक संघर्ष मोर्चा श्रीमती प्रतिभा शिंदे करेंगी.


एमपीजे 23 दिसम्बर को राजव्यापी स्तर पर ज़िलाधिकारी कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन का आयोजन करेगी और किसानों की मांगों को ज़िलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री तक प्रस्तुत करेगी.   










एमपीजे का अखिल भारतीय किसान सभा को समर्थन




मूव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने  अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा आयोजित किसान मोर्चा का समर्थन करते हुए, किसानों के न्यायोचित हक़ दिलाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है. दरअसल अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा आयोजित नाशिक से मुंबई तक की पद यात्रा का समर्थन करते हुए संगठन के अध्यक्ष श्री गावित को एमपीजे महाराष्ट्र के अध्यक्ष मुहम्मद सिराज ने प्रदेश के किसानों को उनका जाएज़ हक दिलाने हेतु उनके साथ खड़े होने का विश्वास दिलाया. गौर तलब है कि बड़ी संख्या में प्रदेश के किसान नाशिक से पद यात्रा करते मुंबई पहुँच रहे हैं, जहाँ अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन आयोजित करेंगे.


सर्वविदित है कि, एमपीजे एक जन आन्दोलन है जो महाराष्ट्र प्रदेश में पिछले  तेरह वर्षों से नागरिकों को उनका हक़ दिलाने और समाज में अमन व इन्साफ की स्थापना के लिए प्रयासरत है. एमपीजे शुरू से ही किसानों के हितों की रक्षा के लिए कार्य करती आई है. अभी हाल ही में एमपीजे ने  मुंबई में प्रसिद्ध शेतकरी नेते श्री विजय जावांधिया के नेतृत्व में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित करके किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार का ध्यान आकर्षित करने  की कोशिश की. इसके अलावा एमपीजे ने अकोला में गत वर्ष मानवधिकार दिवस को अखिल महाराष्ट्र किसान मेळावा आयोजित कर के सरकार को यह बताने का प्रयास किया कि राज्य के किसान भी मानव हैं और उन्हें उनका अधिकार मिलना ही चाहिए.


मानवधिकार दिवस के दिन एम् पी जे ने किसानों को उसके अधिकार दिलाने के लिए शेतकरी मेळावा का आयोजन किया


देश की जानी मानी जन आन्दोलन मूव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर ने 10 दिसम्बर  को अकोला में एक किसान मेळावा का आयोजन किया। यह कार्यक्रम अकोला ज़िला कृषि उत्पन्न बाज़ार समिति के प्रांगण में आयोजित किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में कृषकों ने भाग लिया।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता एम् पी जे के प्रदेश अध्यक्ष मुहम्मद सिराज ने की। उन्हों ने कहा कि दस दिसंबर अर्थात् अंतररष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस को किसान सम्मलेन आयोजित कर के हम देश और दुनिया को बताना चाहते हैं कि, किसान भी इंसान हैं और उन्हें भी देश के संविधान में दिए गए इज्ज़त वाली ज़िन्दगी जीने का अधिकार है।आख़िर किसान ख़ुद अपनी जानें लेने को क्यों मजबूर होता है, इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करके उन्हें समस्यों से निजात दिलाने की ज़रुरत है। किसानों को न्याय और उसके तमाम अधिकार उन्हें मिलना चाहिए।
     
इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कृषि आन्दोलन के मशहूर नेता और अभ्यासक श्री विजय जावनधिया साहब थे, उन्हों ने देश में किसानों द्वारा की जा रही आत्म हत्या पर चिंता प्रकट करते हुए किसानों के आत्महत्या का ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत किया और बताया कि किसानों ने अकाल के दिनों में आत्म हत्याएं नहीं की और न ही सन ८० से ९० के दशक में ऐसी कोई भी घटना घटित हुई।बल्कि इस प्रकार की घटनाएँ कुछ वर्ष पूर्व ही घटित होनी शुरू हुई है। अब उन्हें लगता है कि सरकार भी उनकी बातें नहीं सुनती, बल्कि उनको विश्वास हो गया है कि किसानों के हितों की क़ीमत पर कॉर्पोरेट्स का भला किया जा रहा है।



श्री जावंधिया ने आगे बताया कि आज किसान अपनी ज़मीन बेचकर बेटे को चपरासी बनाना चाहता है, किन्तु खेती करना नहीं चाहता। उन्हों ने कहा कि देश में सरकारी कर्मियों के लिए वेतन आयोग बनते हैं, किन्तु किसानों को उसकी फ़सल की ख़रीद हेतु हामी भाव पर कुछ राज्य सरकारों द्वारा दिए जा रहे बोनस को भी बंद करा दिया जाता है। किन्तु वही केंद्र सरकार गुजरात में विधानसभा चुनाव के शुभ अवसर पर कपास की ख़रीदारी के लिए पांच सौ रुपया बोनस देने की घोषणा करती है।श्री जवांधिया ने चुनाव आयोग से इस की जांच करने की मांग करते हुए इसे सीधे सीधे गुजरात के किसानों को मोदी सरकार द्वारा रिश्वत देने का मामला बताया।

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महारष्ट्र के लोकप्रिय मराठी दैनिक देशोन्नति के मुख्य संपादक श्री प्रकाश पोहरे ने भी किसानों की समस्याओं पर अपनी बात रखते हुए किसानों की बदहाली के लिए देश में राजनितिक उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया।
     

इस अवसर पर अकोला ज़िला कृषि उत्पन्न बाज़ार समिती के सभापती श्री शिरीष धोत्रे और अंजनवादी आंदोलन, लातूर के श्री लक्ष्मण वांघे ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए किसानों का मार्गदर्शन किया।









अकोला: एम पी जे द्वारा किसान मेले का आयोजन -
 http://www.tezsamachar.com/?p=10068




                  

एमपीजे द्वारा अकोला में 10 दिसंबर को शेतकरी मेळावा का आयोजन



मूव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (MPJ) द्वारा महाराष्ट्र में किसानों की समस्याओं पर विचार विमर्श करने और उन समस्याओं के समाधान हेतु जन प्रयास करने की ग़र्ज़ से अकोला में एक शेतकरी मेळावा का आयोजन  किया जा रहा है। यह कार्यक्रम ज़िले के कृषि उत्पन्न बाज़ार समिति में आयोजित होगा, जिसमें प्रदेश के कोने कोने से शेतकरी शामिल होने वाले हैं। इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के समक्ष प्रदेश में किसान आन्दोलन के प्रसिद्ध नेता, कृषि विश्लेषक और मार्गदर्शक श्री विजय जावंधिया साहब समेत अनेक कृषि विशेषज्ञ, समाचारपत्र के संपादक और कृषि आन्दोलन से जुड़े लोग अपने विचार रखेंगे। 















               

एम् पी जे ने महाराष्ट्र में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने और विदेशों से कपास के आयात पर रोक लगाने की मांग की


मूव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर(एम् पी जे) की अकोला यूनिट ने महाराष्ट्र सरकार का किसानों की बदहाल आर्थिक स्थिति की तरफ़ ध्यान आकर्षित करते हुए सरकार से कपास की ५०००/- प्रति क्विंटल हामी भाव और १५००/-प्रति क्विंटल बोनस देने की मांग की है! एम् पी जे ने ज़िलाधिकारी अकोला के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री को एक मेमोरेंडम सौंप कर प्रदेश में सोयाबीन एवं कपास की ख़रीदारी शुरू करने के साथ-साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश से कपास के आयात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की मांग की है! एम् पी जे यह मानती है कि, जहाँ एक तरफ़ प्रदेश में किसान आर्थिक कारणों से आत्महत्या कर रहे हैं, वहीँ दूसरी तरफ़ विदेशों से कपास आयात करना स्थानीय किसानों के साथ सरासर अन्याय है!

मेमोरेंडम देते समय एम् पी जे महाराष्ट्र के सचिव हुसैन खान, अकोला जिला अध्यक्ष अतिकुर्रह्मान तथा अकोला नगर अध्यक्ष शहजाद अनवर आदि मौजूद थे!  

एम् पी जे ने किसान समस्या पर प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर के सरकार से अविलम्ब डॉ० स्वामी नाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग की


  

मुंबई: एम् पी जे ने गत ६ अक्टूबर को मुंबई प्रेस क्लब में एक पत्रकार सम्मलेन आयोजित कर के राज्य में डॉ० स्वामी नाथन आयोग की  सिफारिशों को अविलम्ब लागू करने की मांग की! गौर तलब है कि, एम् पी जे हमेशा से ही किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए आवाज़ें उठाती रही है! दरअसल  महाराष्ट्र राज्य में किसानों के सामने अनेक समस्याएँ विकराल रूप धारण किए खड़ी हैं! यह राज्य किसान आत्महत्याओं के लिए तो पहले से ही मशहूर हो चूका है और अब कीटनाशकों के असुरक्षित छिडकाव से किसानों की मौतें भी होने लगी हैं! कई बार किसानों को मंडी में उसके फसल का उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण उन्हें आलू, प्याज़, टमाटर और अन्य फसलें सड़क पर फ़ेंक देने को मजबूर होना पड़ता है! 

कृषि हेतु सिंचाई की समुचित व्यवस्था के आभाव में भी किसान को ज़बरदस्त हानि होती है! प्रदेश में सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध नहीं है! इस समस्या के समाधान हेतु जलयुक्त शिवार योजना शुरू की गई थी, जो आज तक ठीक ढंग से लागू नहीं हो पाया है! अगर किसान किसी तरह धरती से जल निकालने की व्यवस्था कर भी लेता है तो बिजली उपलब्ध नहीं होती है! वन्य प्राणियों से भी किसानो की फसल बर्बाद होती रहती है, किन्तु वन विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती! 

देश के प्रसिद्ध कृषक नेता विजय जवांधिया ने किसानों की समस्याओं पर मोव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर द्वारा आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बोलते हुए कहा कि, आज तो एक बात बिलकुल स्पष्ट है कि, किसानों की हालत बदलने के लिए किसी दूसरी हरित क्रांति की ज़रुरत नहीं बल्कि एक किसान क्रांति की आवश्यकता है और उन्हों ने प्रदेश में किसान समस्या के समाधान हेतु पत्रकार सम्मलेन के माध्यम से सरकार के समक्ष  निम्नलिखित मांग रखी हैं:

1.   डॉ० स्वामी नाथन आयोग की  सिफारिशों को अविलम्ब लागू किया जाए,
2.   समर्थन मुल्य तय करते समय कुल उत्पादन लागत पर ५०% की दर से लाभ दिया जाए,
3.   सरकार हर वर्ष फसलों के लिए समर्थन मुल्य घोषित करे और उस पर अमल किया जाए,
4.   बिना किसी शर्त के वर्ष २०१७ तक के समस्त कृषि ऋण माफ़ किया जाए,
5.   किसानो और शेतकरी मजदूरों के लिए आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा क़ानून बनाया जाए,
6.   सिंचाई हेतु प्राकृतिक स्रोत पर निर्भर किसानों के लिए विशेष योजना बनाई जाए और बुवाई से कटाई तक के काम म.न.रे.गा के अंतर्गत किए जाएँ,
7.   कृषि कार्य हेतु ब्याज रहित क़र्ज़ दिया जाए,
8.   किसानों को ६० वर्ष की आयु के बाद पेंशन देने की योजना शुरू की जाए,
9.   किसानों को निर्बाध रूप से बिजली उपलब्ध करायी जाए तथा
10. सिंचाई की समस्या हल करने के लिए बड़ी नदियों  को जोड़ने के परियोजना को आरंभ किया जाए!


    

महाराष्ट्र में किसान आन्दोलन की राह पर




मुंबई--- महाराष्ट्र में किसान आन्दोलन की राह पर हैं! किसान फ़सलों की बेहतर क़ीमत हासिल करने और हर तरह के कृषि लोन की माफ़ी  के लिए सड़कों पर उतर आएं  हैं! प्रदेश के कई ज़िलों से हाई वे पर तोड़-फोड़ और दुग्ध से लेकर सब्जी-तरकारी इत्यादि तक सड़कों पर फेंकने की ख़बरें आ रही हैं!
  
सब जानते हैं कि, देश में एक लम्बे समय से किसानों की समस्याओं पर राजनीति  हो रही है! आज कई प्रदेशों  में किसान अपनी समस्याओं को लेकर आन्दोलन करता नज़र आ रहा है! देश की राजधानी तक में किसानों ने नग्न प्रदर्शन कर के सरकार, मीडिया एवं सिविल सोसाइटी का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है! किन्तु, ऐसा प्रतीत होता है कि, सरकार ने किसानों की समस्या पर मौन धारण कर लिया है, जो भारत जैसे एक कल्याणकारी राज्य के लिए अच्छी बात नहीं है! महाराष्ट्र में इस किसान आन्दोलन से हालात ख़राब होने के स्पष्ट संकेत आ रहे हैं!  राजनीतिक पार्टियों का एक-दुसरे पर आरोप -प्रत्यारोप शुरू हो गया है!जहाँ एक तरफ़  एक राजनितिक दल सरकार पर प्रदेश में किसानों की समस्याओं से आँख मूंदने   का आरोप लगाता नज़र आता है, तो वहीं दूसरी तरफ़ दूसरी पार्टी अन्य राजनितिक दलों पर किसानों को उकसाने का आरोप लगाते  नज़र आती है!


वर्त्तमान स्थिति को देखते हुए मोव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर ने सरकार से तुरंत इस मसले पर ध्यान देने की अपील की है! एम पी जे के प्रदेश अध्यक्षमुहम्मद सिराज  ने आज यहाँ एक बयानजारी करते हुए कहा कि, राज्य में किसानों की समस्या नई नहीं है! आज महाराष्ट्र देश में किसान आत्महत्याओं के लिए ज़्यादा जाना जाता है! राज्य में किसान समस्या पर राजनीती बंद होनी चाहिए और कृषकों के कल्याण के लिए ठोस क़दम उठाया जाना चाहिए! किसानों को न्याय मिलना ही चाहिए! उन्हों ने कहा कि, आज किसान ख़ुद अपने खून-पसीने से उगाए हुए फ़सल को रोड पर फेंकने को मजबूर है! यह न सिर्फ़ देश के लिए विकट प्रस्थिति है, बल्कि कल के लिए एक अशुभ संकेत भी! अगर यही हाल रहा और किसानों ने खेती का काम छोड़ दिया तो क्या होगा? देश के विभिन्न हिस्सों में किसान खेती को छोड़ कर दूसरा पेशा अपनाने को मजबूर हैं! अगर हम अन्न उत्पादकों के हितों का ध्यान नहीं रख पाए तो वह दिन दूर नहीं जब  हमारे सामने  ज़बरदस्त खाद्य संकट उत्पन्न हो जाएगा!
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