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एमपीजे ने महाराष्ट्र के विभिन्न ज़िलों में किसानों की समस्याओं पर ज़िलाधिकारी को सौंपे ज्ञापन

महारष्ट्र में एमपीजे द्वारा चलाये गए किसान अधिकार अभियान के अंतिम चरण में प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप कर किसानों को उनका न्यायोचित हक़ देने का अनुरोध किया गया है. यह ज्ञापन प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में ज़िलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री और प्रधान मंत्री को भेजा गया है.


























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अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याणार्थ योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करे सरकार: एमपीजे




एमपीजे ने अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के अवसर पर नांदेड़ और लातूर ज़िलों में जन सभा का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी रही. सभा में उपस्थित तमाम लोग इस बात पर सहमत दिखे कि सर्वसमावेशी विकास के बिना भारत एक विकसित देश नहीं बन सकता है और देश में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जीवन के हर क्षेत्र में पिछड़ते जा रहे हैं. इसलिए सरकार को अविलम्ब मुस्लिम समुदाय के कल्याणार्थ बनी समस्त योजनाओं के कार्यान्वयन पर ध्यान देना चाहिए. इस अवसर पर एमपीजे ने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को ज्ञापन दे कर १५ सूत्री कार्यक्रम और मल्टी सेक्टोरल डेवलपमेंट प्रोग्राम के कार्यान्वयन की समीक्षा किये जाने और इस के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने की मांग की.  


महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग मुंबई के उपाध्यक्ष श्री जे.एम. अभ्यंकर साहेब के साथ सरकारी विश्राम कार्यालय, लातूर में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें अल्पसंख्यक योजनाओं के कार्यान्वयन के संबंध में चर्चा हुई.














एमपीजे ने लांच किया किसान अधिकार अभियान, धुळे में होगा किसान मेळावा


मुव्मेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने दस दिवसीय किसान अधिकार अभियान की शुरुआत 12 दिसम्बर को जलगाँव से की है. इस  अभियान का उद्देश्य किसानों को उसका न्यायोचित अधिकार दिलाना है.

गौर तलब है कि, आज देश का किसान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ने को मजबूर हो चला है. सर्वविदित है कि आज भी देश में 65 से 70 फ़ीसदी लोग रोज़ी-रोटी के लिए कृषि और कृषि आधारित कामों पर निर्भर हैं. किन्तु किसानों और शेतकरी मजदूरों की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण किसानों द्वारा स्वयं ही अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेना है.

आज किसानों के सामने अनेक समस्याएँ विकराल रूप धारण किये खड़ी हैं. किसान सूखे से परेशान है. सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है. धरती से जल निकालने हेतु बिजली उपलब्ध नहीं होती है. उन्हें  फसल की उचित क़ीमत नहीं मिलती है.  वन्य प्राणियों से भी किसानो की फसल बर्बाद होती रहती है, किन्तु वन विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती. किसान क़र्ज़ के जाल में फंसा हुआ है. देश की भूख मिटाने के लिए रात-दिन एक कर के खून-पसीना बहाने वाली शेतकरी कम्युनिटी की परेशानियाँ ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. आज विडम्बना यह है कि, जय जवान-जय किसान के नारे वाले देश में किसान अपने बच्चों को चपरासी तो बनाना चाहता है, किन्तु अन्न उत्पादक नहीं.

आज तक किसानों की समस्याओं पर सरकारें सिर्फ राजनीति ही करती आईं हैं. चुनाव के समय वर्तमान सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य देने, अच्छी सिंचाई व्यवस्था करने, निर्बाध रूप से विद्युत् आपूर्ति करने तथा कृषि ऋण माफ़ करने जैसे अनेक सब्ज़ बाग़ किसानों को दिखाए गए, किन्तु अभी तक प्रदेश के किसान इन लोकलुभावन घोषणाओं के लागू होने का इंतज़ार ही कर रहे हैं. किसानों की इस दुर्दशा पर मुव्मेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) शुरू से ही अपनी आवाजें बुलंद करती आई है.

गौर तलब है कि, एमपीजे एक राष्ट्रीय जनांदोलन है और शेतकरी समुदाय को इन्साफ़ दिलाने के प्रतिबद्ध है. इसी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु एमपीजे ने किसान अधिकार अभियान 12 दिसम्बर से शुरू किया है, जिसके तहत आम जनता से लेकर पालिसी निर्माताओं तक शेतकरी समस्याओं को पहुँचाया जायेगा. अभियान का समापन धुळे में 22 दिसम्बर को संगठन द्वारा आयोजित शेतकरी मेळावा में होगा, जहाँ प्रदेश के कोने-कोने से शेतकरी बन्धु जमा होने वाले हैं. इस शेतकरी मेळावा का मार्गदर्शन प्रसिद्ध शेतकरी लीडर श्री विजय जावंधिया, श्री प्रकाश पोहरे, मुख्य संपादक दैनिक देशोन्नति और सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं सचिव, लोक संघर्ष मोर्चा श्रीमती प्रतिभा शिंदे करेंगी.


एमपीजे 23 दिसम्बर को राजव्यापी स्तर पर ज़िलाधिकारी कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन का आयोजन करेगी और किसानों की मांगों को ज़िलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री तक प्रस्तुत करेगी.   










एम पी जे का राज्यव्यापी “बंधुता अभियान” व्यक्ति की गरिमा को समझने और राष्ट्र की एकता एवं अखंडता को सबल बनाने के संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन की अपील के साथ संपन्न


मुंबई: आज मुव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एम पी जे) का राज्यव्यापी बंधुता अभियान संपन्न हो गया। उल्लेखनीय है कि, एम पी जे का बंधुता अभियान 17 नवम्बर 2018 को आरंभ हुआ था जो आज संविधान दिवस अर्थात 26 नवम्बर 2018 को समाप्त हुआ।

मीडिया से बात करते हुए संगठन के महासचिव अफ़सर उस्मानी ने कहा कि, इस अभियान का उद्देश्य भारत के संवैधानिक विचार को बढ़ावा देना था, जो अपने सभी नागरिकों को व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित कराने वाली, बंधुता बढ़ाने के लिए कार्य करने का न केवल अवसर प्रदान करता है, बल्कि इसे देश के हर नागरिक का मौलिक कर्त्तव्य बताता है। उन्होंने कहा कि, हमारा संविधान हमें इज्ज़त के साथ ज़िन्दगी जीने की गारंटी देता है, किन्तु आज देश की एक बड़ी आबादी ग़रीबी की ज़िन्दगी बसर करने को मजबूर है। देश की आधी से ज़्यादा दौलत पर देश की कुल जनसँख्या के सिर्फ एक प्रतिशत लोग ही क़ब्ज़ा किए बैठा है। उन्हों ने कहा कि, जहाँ हमें संविधान एक गरिमा वाली ज़िन्दगी जीने की गारंटी देता है, वहीँ हमें समाज में ऐसे बंधुत्व को बढ़ावा देने के लिए कहता है, जिसमें सब से पहले एक व्यक्ति की गरिमा को महत्वपूर्ण समझा जाए। आपस में हर नागरिक भावनात्मक रूप से जुड़कर एक दुसरे को भाई समझे, तभी देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित होगी।

इस अवसर पर संगठन के अध्यक्ष, मुहम्मद सिराज ने कहा कि, आज एक समावेशी और लोकतांत्रिक भारत के अवधारणा पर एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है। हमारे देश में सामाजिक और आर्थिक असमानताएं घटने के बजाए बढ़ती ही जा रही हैं। हमारा यह बंधुता अभियान देश के नागरिकों को ज़रूर उसके उन संवैधानिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए प्रेरित करेगा, जो देश में आपसी भाईचारे और समरसता का निर्माण करने हेतु कार्य करने को हर नागरिक का मौलिक कर्तव्य बताता है।

संगठन के उपाध्यक्ष रमेश कदम ने कहा कि, देश में संविधान के प्रति लोगों को जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है, जब तक लोगों को उनके अधिकार एवं कर्तव्यों के बारे में पता नहीं चलेगा, तब तक देश में गरिमापूर्ण ज़िन्दगी जीने का सपना पूरा नहीं हो सकेगा।

इस अभियान के तहत सार्वजानिक सभा, वर्कशॉप, सेमिनार,संविधान रैली और शैक्षिक संस्थानों में संवैधानिक मूल्यों पर व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसका समाज के हर वर्ग ने स्वागत किया।


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