महाराष्ट्र सरकार की स्वास्थ्य योजनायें

स्वास्थ्य

 राजीव गांधी जीवनदायी आरोग्य योजना:
प्रदेश की नाकाफ़ी स्वास्थ्य व्यवस्था तथा कमज़ोर ढांचागत सुविधाओं के मद्देनज़र, महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2012 मे राजीव गांधी जीवनदायी आरोग्य योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के अंतर्गत सरकार आर्थिक रूप से कमज़ोर, निर्धन एवं वंचित वर्ग के बीमार लोगों के इलाज के लिए डेढ़ लाख रुपये तक की सहायता राशि प्रदान करती है। किडनी के ट्रांसप्लांटेशन के लिए सहायता राशि 2,50,000 रुपये है। राजीव गांधी जीवनदायी आरोग्य योजना के तहत ह्रदयरोग, कैंसर, प्लास्टिक सर्जरी, स्त्री रोग, नेत्र रोग, मोतियाबिंद समेत लगभग 971 बीमारियों के इलाज के लिए मदद  दी जाती है। प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों मे उपलब्ध इस योजना के मुताबिक मरीज के इलाज के लिए सरकार अपने कोष से अस्पताल को पैसा देती है।
पात्रता:
·         आय 1 लाख रुपये से कम होना चाहिए
·         सालाना आय का सर्टिफिकेट
·         राशन कार्ड
·         मरीज़ की बीमारी का विवरण
·         डॉक्टर का प्रमाण पत्र, जिसमे बीमारी की जानकारी समेत उस पर आने वाले खर्च का ज़िक्र हो
·         मरीज के तीन रंगीन फोटो

चैरिटेबल अस्पतालों में निर्धन व आर्थिक रूप से कमज़ोर रोगियों की चिकित्सा:

माननीय बोम्बे उच्च न्यायलय द्वारा राज्य के चैरिटेबल अस्पतालों में निर्धन व आर्थिक रूप से कमज़ोर रोगियों की चिकित्सा हेतु एक योजना बनायी गयी थी, जो 1 सितम्बर, 2006 से लागू है! इस योजना को एक जन हित याचिका पर निर्णय देते हुए बनाया गया था! अदालत ने आदेश पारित करते हुए कहा कि, हर वो अस्पताल, नर्सिंग होम, मैटरनिटी होम, डिस्पेंसरी अथवा अन्य कोई मेडिकल रिलीफ केंद्र जो बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1950 के तहत रजिस्टर्ड है तथा  वार्षिक ख़र्च पांच लाख रूपए से अधिक है, तो उक्त अधिनियम की धारा 41 AA के उपबंध 4 के अंतर्गत, उसे सरकारी सहायता प्राप्त सार्वजनिक ट्रस्ट समझा जायेगा तथा उन्हें इस निम्नलिखित सेवा प्रदान करनी होगी:

·         यह अस्पताल क़ानूनी रूप से निर्धनों के लिए 10% बिस्तरों को आरक्षित करेंगे तथा उन्हें मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएँगे!
·         यह अस्पताल क़ानूनी रूप से कमज़ोर वर्ग के लिए 10% बिस्तरों को आरक्षित करेंगे तथा उन्हें उक्त अधिनियम की धारा 41AA के तहत किफायती दरों पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएँगे!
·         इमरजेंसी मामलों में ग़रीबों को एडमिट करने से मना नहीं कर सकते, बल्कि उन्हें जीवन रक्षक चिकित्सा उपाय करने के पश्चात सरकारी अस्पताल तक पहुँचाने की व्यवस्था अस्पताल स्वयं करेंगे!

·       हर पब्लिक चैरिटेबल हॉस्पिटल को एक निर्धन मरीज़ फण्ड की स्थापना करनी होगी जिसमें कुल वार्षिक आय (Gross Billing) का 2% जमा करना होगा!

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