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MPJ के हस्तक्षेप के बाद, भ्रष्ट राशन डीलरों के खिलाफ शिकायत दर्ज

  

मुंबई: आज मुव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) द्वारा कुर्ला के शिधा वाटप कार्यालय में लगभग दो सौ राशन कार्ड धारकों के राशन नहीं मिलने या कम मिलने की शिकायत दर्ज करवाई गई. आप को बता दें कि इस क्षेत्र के बहुत सारे राशन कार्ड धारकों को सार्वजानिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत राशन डीलरों द्वारा या तो राशन दिया ही नहीं जा रहा है या उपभोक्ता को मिलने वाले राशन की मात्रा से काफ़ी कम राशन दिया जा रहा है. कार्डधारकों द्वारा सम्बंधित कार्यालय में राशन डीलरों के विरुद्ध लिखित शिकायत को भी स्वीकार नहीं किया जा रहा था.

गौर तलब है कि एमपीजे द्वारा 5 जनवरी 2019 से अन्न अधिकार पर एक राज्यव्यापी जनजागरण अभियान शुरू किया गया है जो  31 जनवरी 2019 को ख़त्म होगा. इसी अभियान के तहत एमपीजे की मुंबई जिला यूनिट द्वारा चलाये जा रहे जनजागरण अभियान के तहत मुंबई के अनेक स्थानों पर राशन नहीं मिलने या निर्धारित कोटे से कम मिलने की शिकायत प्राप्त हुई थी. लोगों ने बताया कि सम्बंधित राशन कार्यालय में कोई उनकी लिखित शिकायत को भी स्वीकार नहीं करता है और हमें वहां से भगा  दिया जाता है. इस आम शिकायत के मद्दे नज़र एमपीजे मुंबई यूनिट के पदाधिकारियों ने सम्बंधित शिधा वाटप कार्यालय में अधिकारीयों से भेंट कर के पब्लिक की समस्याओं के समाधान हेतु अनुरोध किया, जिसके बाद आज लगभग दो सौ लोगों की लिखित शिकायत शिधा वाटप कार्यालय ने स्वीकार किया और सम्बंधित अधिकारीयों द्वारा इन शिकायतों पर उचित कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया गया.

आप को बता दें कि, इस अन्न अधिकार अभियान के तहत एमपीजे का फोकस वह तीन करोड़ लोग हैं, जिन्हें पीडीएस के अंतर्गत राशन से वंचित कर दिया गया है. सर्वविदित है कि, सरकार ने लक्षित जन वितरण प्रणाली के तहत ग्रामीण क्षेत्र में 76% और शहरी क्षेत्र में 45% जनसँख्या को कवर करने का लक्ष्य तय किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. आप को बता दें कि, शहरी क्षेत्र में लक्षित जन वितरण प्रणाली के तहत राशन पाने हेतु वार्षिक आय की सीमा 59,000/- और ग्रामीण क्षेत्र के लिए 44,000/- तय किया गया है. अभी तक सरकार अपने तयशुदा लक्ष्य तक नहीं पहुँच पाई है.  इसलिए एमपीजे इस अभियान के तहत राज्य के विभिन्न स्थानों पर जनजागरण कार्यक्रम चला रही है.

गौर तलब है कि वर्ष 2013 में जब अन्न सुरक्षा क़ानून आया, उस समय महाराष्ट्र में 8 करोड़ 77 लाख लोग अन्न सुरक्षा का लाभ पा रहे थे, किन्तु उक्त क़ानून के तहत सात करोड़ लोगों को अन्न सुरक्षा देने का प्रावधान किया गया था, जिससे 1 करोड़ 77 लाख लोग अन्न सुरक्षा से वंचित हो गए थे. तत्कालीन सरकार ने बाज़ार भाव पर केंद्र सरकार से अनाज लेकर उन वंचित हो गए लोगों को सब्सिडी प्रदान कर के पीडीएस का लाभ दिया था.

किन्तु वर्ष 2014 में नई सरकार के आने के पश्चात् उन लोगों का सब्सिडी आधारित  राशन बंद हो गया. इसके अलावा राशन वितरण हेतु डिजिटल सिस्टम अपनाये जाने के कारण एक करोड़ दस लाख और लोग अन्न सुरक्षा के लाभ से वंचित हो गए.  इस तरह प्रदेश में 2 करोड़ 87 लाख लोगों को अन्न सुरक्षा से वंचित कर दिया गया है.


इस अभियान के तहत एमपीजे की मांग है कि वर्ष 1997 के वार्षिक आय सीमा के अनुसार केसरी कार्ड धारकों यानि एक लाख रुपये वार्षिक आय वाले परिवारों को अन्न सुरक्षा का लाभ दिया जा रहा था, तो अभी वार्षिक आय सीमा 59000/- से एक लाख किया जाना चाहिए और जो 2 करोड़ 87 लाख लोग वंचित कर दिए गए हैं, उन्हें अन्न सुरक्षा का लाभ प्रदान किया जाना चाहिए.




अन्न अधिकार अभियान-2019




“अन्न का अधिकार- जीने का अधिकार” विषय पर कार्यशाला का आयोजन





मुंबई: मुव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने अन्न का अधिकार- जीने का अधिकार” विषय पर आज यहाँ  एक कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें अन्न हक्क़ परिषद के विभिन्न सदस्य संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. इस कार्यशाला में उपस्थित लोगों का भारतीय संविधान और अन्न सुरक्षा क़ानून के विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन किया गया.

कार्यशाला में एमपीजे के प्रदेश उपाध्यक्ष रमेश कदम ने अन्न सुरक्षा अधिनियम और महाराष्ट्र में इसके कार्यान्वयन पर मार्गदर्शन प्रदान किया. जबकि श्रीमती संगीता ठाकरे ने भारतीय संविधान के उद्देशिका और नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य पर मार्गदर्शन किया.

अन्य वक्ताओं ने भी अन्न अधिकार पर अपनी बातें रखीं. 








मुंबई में अन्न अधिकार पर कार्यशाला संपन्न




एमपीजे द्वारा महाराष्ट्र में अन्न सुरक्षा को लेकर खड़े किये गए आन्दोलन के फलस्वरूप बने अन्न हक्क़ परिषद के कार्यकर्ताओं के क्षमता निर्माण के लिए एमपीजे ने प्रदेश में अन्न सुरक्षा क़ानून की वर्तमान स्थिति पर एक कार्यशाला का आयोजन किया. इस आयोजन में प्रदेश की विभिन्न सामाजिक संगठनों के कार्यकर्त्तागण उपस्थित रहे.


इस अन्न अधिकार कार्यशाला का मार्गदर्शन मुव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर के प्रदेश अध्यक्ष रमेश कदम, मुहम्मद अनीस और एमपीजे महाराष्ट्र के एग्जीक्यूटिव काउंसिल सदस्य एवं मुंबई एमपीजे ज़िला प्रमुख शब्बीर देशमुख द्वारा किया गया. इस कार्यशाला में शोलापुर, नाशिक, पुणे, मुंबई तथा ठाणे ज़िले आदि से सोशल एक्टिविस्ट उपस्थित हुए.    











प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के लाभ से बड़ी तादाद में गर्भवती महिलाएं वंचित- एम पी जे




नागपुर:  भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना की शुरुआत की है, जिसका मक़सद गर्भवती महिलाओं को उचित पोषण उपलब्ध कराना है. यूँ तो प्रदेश में वर्ष 2014 से ही अन्न सुरक्षा कानून लागू है. उक्त कानुन में भी गर्भवती महिलाओं को बेहतर पोषण के लिए 6000/- बतौर अनुदान देने का प्रावधान है. अब वही लाभ केन्द सरकार ने प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को देने की योजना शुरू की है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में यह लाभ समस्त ज़रूरतमंदों को नहीं मिल रहा है. इस योजना के लाभ से बड़ी तादाद में पात्र महिलाएं वंचित हैं, जिनमें नागपुर शहर की पात्र महिलाएं भी शामिल हैं.

प्रदेश में प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत वंचितों को उसका हक़ दिलाने के लिए मुव्हमेन्ट फ़ॉर पीस एन्ड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर ने एक राज्यव्यापी कार्यक्रम की शुरुआत की है. इस राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत एमपीजे नागपुर की टीम ने नागपुर के जिलाधिकारी, जिला स्वास्थ्य अधिकारी तथा नागपुर महानगर पालिका के उच्च अधिकारीयों से मीटिंग्स कर के ज़िले में उक्त योजना के सफ़ल कार्यान्वयन हेतु सरकार के समक्ष अपनी मांगें रखी हैं. उपरोक्त अधिकारीयों से बैठक करने के पश्चात् एमपीजे के शिष्टमंडल को पता चला कि, नागपुर ज़िले के ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना पर कार्य शुरू हो चुका है और इस योजना के कार्यान्वयन की ज़िम्मेदारी आशा वर्कर को सौंपी गई है. किन्तु ज़िले के शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन निकायों द्वारा डाटा संकलन करने का कार्य शुरू किया जा रहा है. यही वजह है कि अभी पात्र गर्भवती महिलाओं को यह लाभ नहीं मिल पा रहा है. यह योजना नागपुर के शहरी इलाक़ों में कब शुरू होगी, इसके बारे में जानकारी देने में सम्बंधित अधिकारियों ने असमर्थता जताई.

महाराष्ट्र सरकार के उक्त उच्च अधिकारीयों से मिलने गए शिष्टमंडल में एमपीजे महाराष्ट्र महिला विंग की सचिव डॉ. तस्नीम बानो, नागपुर जिलाध्यक्ष शकील मोहम्मदी, मध्य नागपुर (शहर) अध्यक्ष एहतशाम, नागपुर ज़िला मीडिया सेक्रेटरी राजेश बांगर, श्रीमती रिज़वाना, श्रीमती रूबीना शामिल थे.  


एमपीजे उक्त योजना को समुचित ढंग से कार्यान्वयनित करने हेतु जल्द ही एक राज्य व्यापी आन्दोलन शुरू करेगी. 

MPJ Urges Maharashtra Government to Provide Food Security to People Affected by the Demonetisation

Mumbai--- Today, the state of Maharashtra is in the grip of severe crisis due to the demonetisation. There is a disaster like situation for the citizens in general and the people belonging to the economically weaker sections in particular. The life of daily wage earners has become miserable. The unorganised labourers are worst sufferer. They are losing jobs, as their employers have no cash to pay the wages. This demonetisation has put a big question mark on their existence, as the majority of these low wage earners are not able to buy foods, medicines and other things of basic needs.  We understand that the demonetisation may be a good and inevitable move and it may yield positive results in the long run. Our intention is not to dispute the government’s move of demonetisation of higher value currency notes. But, nobody can deny that the sudden demonetisation move of the government has brought disastrous effects on the common man’s life. 

It is also a fact that today people are facing great difficulties and inconveniences in meeting even their basic requirements. The long queue in the banks and limited withdrawal of people’s own hard earned money has compelled them to live like a beggar, while the constitution of India guarantees a dignified life for all.   It is also a fact that the situation is not going to be normal overnight and nobody can predict a timeframe of getting rid of the chaos the country is facing today. Undoubtedly, in the present circumstances a drought or calamity like situation has emerged before us. The rising act of suicide is clearly indicating that the people are losing hope. The Government must recognise the fact that the right to life of an innocent person is the most important.

Hence, in this peculiar circumstance, it is the sacred duty of the government to act justly.  We should never forget that India is a welfare state and keeping in view the wellbeing of the people, the government must pay serious and sincere attention towards the public interest and come forward to provide relief to people who are facing hardships due to the crisis of currency notes.


The present situation demands to ensure at least food security for all. It is to be noted that, Hon’ble Supreme Court had delivered a historic judgment on drought case filed by Swaraj Abhiyan. In the said order the court had laid down that drought constitutes a ‘disaster’ under the Disaster Act. Today situation is no different.   The state of Maharashtra must treat this as a disaster like situation, as the majority of people have no money to buy goods and services to satisfy their basic needs. The aforesaid judgment is the most significant social justice intervention of the Supreme Court and we urge the state government to consider providing food security to all in the light of the above said judgment in the larger interest of people.

मीडिया कवरेज: एम् पी जे द्वारा सब को राशन के लिए मोर्चा


महाराष्ट्र: प्रदेश में खाद्यान्न सुरक्षा अधिनियम को अक्षरशः लागू करने के लिए अन्न अधिकार मोर्चा का आयोजन

जालना में एम् पी जे कार्यकर्त्ता जिलाधिकारीको ज्ञापन सौंपते हुए
अकोला: मोव्मेंट फॉर पीस एंड जस्टिस ने आज यहाँ सब को अन्न मिले, इस के लिए अन्न अधिकार मोर्चा का सफ़ल आयोजन किया! इस रैली में ज़िले के विभिन्न भागों से आए हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया! दरअसल यह कार्यक्रम अन्न अधिकार अभियान की पहल पर आयोजित किया गया था! इस रैली का मक़सद लोगों की खाद्यान्न समस्या की तरफ़ सरकार का ध्यान आकर्षित करना है, जिसमें अन्न सुरक्षा अधिनियम को पूरी तरह से लागू करने, केसरी कार्ड धारकों को अनाज देने पर सरकार द्वारा पुनर्विचार करने तथा सर्वोच्च न्यायलय के आदेशानुसार अन्तोदय योजना के लिए पात्र तमाम लोगों को शामिल किया जाना भी शामिल है! आज हज़ारों की संख्या में इस रैली में शामिल हुए लोगों ने डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को इस सम्बन्ध में एक ज्ञापन सौंपा!  आज अकोला के साथ साथ जालना और परभणी में भी इसी तरह का आयोजन किया गया और धरना प्रदर्शन के साथ साथ ज़िला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया! गौर तलब है कि, वर्ष 2013 में क़ानून बनाकर सरकार ने समस्त नागरिकों को खाद्यान्न की गारंटी दी है, किन्तु आज तक इस क़ानून को पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है, जिसके कारण लोगों को खाद्यान्न अधिकार होने के बावजूद भूखे पेट सोने को मजबूर होना पड़ रहा है! इसलिए एम् पी जे अन्य संगठनों के साथ मिलकर यह ग़रीबों को न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रही है! 

अकोला में एम् पी जे कार्यकर्त्ता प्रदर्शन करते हुए

MPJ demands to implement Supreme Court’s order to provide the relief for the drought affected people

The MPJ has submitted a memorandum to the Chief Minister, Government of Maharashtra to implement the Hon’ble Supreme Court’s order for providing the wide-ranging relief for the drought affected people. These include Mid-Day Meals during the summer vacation, an addition of egg or milk to the mid-day meal menu, the universalization of food grain ration, an adequate and timely release of funds for the MNREGA and implementation of crop loss compensation, agricultural loan restructuring and provision for cattle fodder.

 As everybody knows, these orders were passed by the Hon’ble Supreme Court, in a PIL filed by an NGO Swaraj Abhiyan. Apart from these orders, the court has also issued new guidelines for the assessment and declaration of the drought.

As per the directives issued by the Hon’ble Supreme Court, every household in drought affected area is entitled for the benefits available under the National Food Security Act and the current distinction between “eligible” and “non-eligible” households will also not apply. NO citizen is to be denied food-grain merely because she or he does not possess a ration card. Any alternative identification document will be accepted for the purpose.

Similar memorandums are also being submitted by the District units of the MPJ to the concerned District authorities.


एम् पी जे की जनहित याचिका खाद्य सुरक्षा मामले में महाराष्ट्र सरकार ने तीन महीनों के भीतर राज्य खाद्य सुरक्षा आयोग गठित करने का शपथ प्रस्तुत किया

मुंबई--- मुव्हमेंट फार पीस & जस्टिस द्वारा दायर  जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार  ने माननीय बॉम्बे उच्च न्यायालय को  अगले तीन महीने के भीतर  "अन्नसुरक्षा आयोग" स्थापित करने का शपथपत्र प्रस्तुत किया है। दरअसल  भारत सरकार द्वारा “राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 “ नामक  एक क़ानून बनाया गया था, जिसका उद्देश्य जनसाधारण को खाद्यान्न की उपलब्धता को सुनिश्चित करना था। इस क़ानून के अंतर्गत लोगों को सस्ते दर पर पर्याप्‍त मात्रा में उत्‍तम खाद्यान्‍न उपलब्ध कराना सरकार के ज़िम्मे है ताकि लोगों को खाद्य एवं पोषण सुरक्षा मिले और वे सम्‍मान के साथ जीवन जी सकें। इस क़ानून के मुख्य प्रावधान निम्नलिखितहैं:

·         इस कानून के तहत लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 75 प्रतिशत तक तथा शहरी क्षेत्रों की 50 प्रतिशत तक की आबादी को रियायती दरों पर खाद्यान्‍न उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

·     पात्र परिवारों को प्रतिमाह पांच कि. ग्रा. चावल, गेहूं व मोटा अनाज क्रमशः 3, 2 व 1 रुपये प्रति कि. ग्रा. की रियायती दर पर मिल सकेगा।

·         अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) मे शामिल परिवारों को प्रति परिवार 35 कि. ग्रा. अनाज का मिलना।  

·     इसके लागू होने के 365 दिन के अवधि के लिए, लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएम) के अंतर्गत‍ सब्सिडीयुक्‍त खाद्यान्‍न प्राप्‍त करने हेतु, पात्र परिवारों का चयन किया जाना।

·         गर्भव‍ती तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गर्भावस्‍था के दौरान तथा प्रसव के छ: माह के उपरांत भोजन के अलावा कम से कम 6000 रुपये का मातृत्‍व लाभ भी मिलना ।

·       14 वर्ष तक की आयु के बच्‍चे पौष्टिक आहार अथवा निर्धारित पौष्टिक मानदण्‍डानुसार घर राशन ले जाने  की व्यवस्था।

·         खाद्यान्‍न अथवा भोजन की आपूर्ति न हो पाने की स्थिति में, लाभार्थी को खाद्य सुरक्षा भत्‍ता दिया जाना।

·         इस अधिनियम के जिला एवं राज्‍यस्‍तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्‍थापित करने का भी प्रावधान।


गौर तलब है कि, इस अधिनियम के कार्यान्वयन और निगरानी के लिए राज्य खाद्य आयोग गठित करने की व्यवस्था की गयी थी। किन्तु, महाराष्ट्र सरकार द्वारा अभी तक इस आयोग का गठन नहीं किया गया था, जिस के चलते राज्य में खाद्य सुरक्षा क़ानून का समुचित कार्यान्वयन और निगरानी संभव नहीं था। राज्य में उक्त क़ानून सही ढंग से लागू नहीं होने के कारण एम् पी जे को अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा था तथा एम् पी जे ने एक जनहित याचिका दायर कर के लोगों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की थी।

एम् पी जे, भिवंडी का “सब के पास राशनकार्ड” अभियान


एम् पी जे, भिवंडी द्वारा खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने कि ग़र्ज़ से भिवंडी में “सब के पास राशनकार्ड” नामक एक महीने का अभियान शुरू किया गया है! इस अभियान के तहत लोगों को नये राशनकार्ड बनाने तथा इस के संशोधन में होने वाली परेशानियों को दूर करने सम्बंधित मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है! इस अभियान के तहत भिवंडी क्षेत्र के विभिन्न इलाक़ों में एम् पी जे कैम्प लगा कर लोगों को फॉर्म भरने से लेकर तमाम तरह कि जानकारी उपलब्ध करा रही है! एम् पी जे के इस अभियान को स्थानीय लोगों ने ख़ूब सराहा है तथा इस अभियान के तहत लगाये गए कैम्पों में ज़बरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है! इस से एम् पी जे कार्यकर्ताओं में ज़बरदस्त उत्साह देखा जा रहा है! 

अन्न हक्क परिषद - मुंबई ने सामाजिक, आर्थिक जाती गणना 2011 के विषय में आजाद मैदान पर धरना दिया


मुंबई - केन्द्र सरकार द्वारा पुरे देश मे सन 2011 में सामाजिक एवं आर्थिक जाती गणना की शुरुआत की थी, जो वर्ष 2013 मे संपन्न हो गया था! सर्वेक्षण के बाद संबंधित सर्वेक्षण की प्रारूप लिस्ट नागरीको के निरिक्षण हेतु प्रदर्शित करना आवश्यक था! किन्तु, राज्य सरकार ने ऐसा नही किया! मुव्हमेंट फाॅर पीस अॅन्ड जस्टिस फाॅर वेलफेयर - महाराष्ट्र संघटन ने सन 2014 मे खाद्य सुरश्रा कानुन - 2013 के संदर्भ मे मुंबई उच्च न्यायालय मे एक जनहीत याचिका दायर की थी, जिसके तहत 'खाद्य सुरक्षा कानुन के दायरे मे जिन लोगो का चुनाव करना है, उसके लिये उपरोक्त सर्वेक्षण के लिस्ट का आधार लिया जायेगा ऐसा राज्य सरकार ने ही अपने प्रस्तुत प्रतिज्ञा पत्र मे कहा है! अत: राज्य सरकार को अविलम्ब संबधित प्रारूप लिस्ट प्रदर्शित कर के नागरीको से आपत्ति तलब करने के बाद राज्य के विभिन्न ज़िलों मे लिस्ट प्रदर्शित करना था! इसी आलोक में मुंबई के कुछ समाचार पत्रों में एक विज्ञापन प्रकाशित कर के जनता को बताया गया कि, 09 सितंबर 2015 को मुंबई शहर की प्रारूप लिस्ट महानगरपालिका के सभी वार्ड ऑफीस के स्वास्थ विभाग मे निरिक्षणार्थ लगायी गयी है!

गौर तलब है कि, अन्न  हक्क परिषद गत एक वर्ष से इस संदर्भ मे मुंबई के विभिन्न भागो मे जनजागरण कर रहा था! किन्तु, जब अ ह प के कार्यकर्तागण नागरीकों के साथ विभिन्न वार्ड ऑफीस मे लिस्ट देखने गये तब उन्हे वहा का नजारा कुछ और ही दिखा! कही भी लिस्ट प्रदर्शित नही की गयी थी! अधिकारीयो मे ही इस विषय पर जानकारी का अभाव दिखा!  

इस के विरोध मे अन्न हक्क परिषद ने गुरूवार गत 08/10/2015 को दोपहर 2.00 बजे से 6.00 बजे तक आजाद मैदान, सि एस टी , मुंबई पर धरना दिया! इस धरना कार्यक्रम मे अ ह प की सदस्य संस्थायें - मुव्हमेंट फाॅर पीस अॅन्ड जस्टिस फाॅर वेलफेयर, अन्न व जीविका हक्क समिती -दादर , डाॅन बाॅसको डेव्हलपमेन्ट सोसायटी -माटुंगा, भारतीय मुस्लिम महीला आंदोलन -बान्द्रा, जनहीत संस्था , तथास्तू फाउंडेशन - चेंबुर इन संस्थाओ के श्री शब्बीर देशमुख , बसंती सोलंकीखातून आपा , संदिप सुमन , गणेश कदम, भारती शेट्टी , यास्मीन शेख, दत्तात्रय पड्याल, राजेश बांगर आदी कार्यकर्ता एंव 120 महिला - पुरूषोंने इस धरना  कार्यक्रम को अंजाम दिया!

दोपहर 4.30 बजे प्रतिनिधी मंडल मनपा उपायुक्त से मिलने गया! किन्तु उपायुक्त ने सयुक्त कार्यकारी स्वास्थ अधिकारी से चर्चा करने का फ़रमान जारी किया! प्रतिनिधी मंडल ने सयुक्त कार्यकारी स्वास्थ अधिकारी डाॅ. नाईक से उनके केबिन मे चर्चा कर अपनी मांगों को प्रस्तुत किया, जो मुख्यतः इस प्रकार हैं:
1) सामाजिक, आर्थिक जाती गणना की प्रारूप लिस्ट प्रदर्शित करने की प्रक्रीया राज्य सरकार के राजपत्र मे निर्देशित नियमों के अनुसार नही होने से लाखो नागरीक यह लिस्ट निरीक्षण करने और दावे तथा हरकत डालेने से वंचित रह गये है ईसलिये यह प्रक्रीया पुन : नये सिरे से और नियमों का पुरी तरह पालन कर चलायी जाये!

2) लिस्ट प्रदर्शित करने के एक माह पहले समाचार पत्र, रेडीयो, टेलिव्हीजन, पोस्टर, होर्डींगस्, बस्तियो मे लाऊडस्पिकर द्वारा जानकारी देना आदी माध्यमो का उपयोग कर बडी तादाद मे प्रचार किया जाये!

3) प्रारूप लिस्ट चुनाव बुथ निहाय प्रदर्शित की जाये!

प्रतिनिधी मंडल मे शब्बीरभाई देशमुख,बसंती सोलंकी,संदिप सुमन,गणेश कदम, यास्मीन शेख, राजेश बांगर वगैरह साथी शामिल थे!


रिपोर्ट: राजेश बांगर, अन्न हक्क परिषद - मुंबई

मुंबई महापालिका कार्यालयात सामाजिक- आर्थिक आणि जात जनगणना लिस्ट नागरी निषेध बसला नाही

अन्न हकक् परिषद व मुव्हमेंट फाँर पीस एण्ड जस्टीस फाँर वेल्फेअर यांच्या संयुक्तरित्या दिनांक 03/10/2015 रोजी बीएमसी एफ उत्तर विभाग,माटूंगा येथे 50 महिला पुरुष सामाजिक आर्थिक जन जाती निहाय सर्वे 2011 यादी बघण्यासाठी गेले असता अधिकार्यांनी प्रवेश नाकारला व यादी बघण्यापासुन अडवणूक केली व अशा प्रकारची कोणतीही यादी लागलेली नाही तुम्ही परत जा असे सांगितले! तेव्हा संबंधित महिला पुरुषांनी मुख्य प्रवेशद्वारावर धरणा दिला! मनपा कर्मचार्यांनी 3 गाड्यांद्वारे पोलिसांना पाचारण केले!

दुपारी 2 वाजे पर्यंत यादी लावण्यात आलेली नव्हती. श्री.शब्बीर देशमुख, बसंती सोलंकी, संदिप  सुमन यांच्या नेत्रुत्वा खाली धरणा सुरु आहे!


Finally the BMC officer provided a letter informing that, the BMC will inform MPJ on 5th September when they will put up the list.

MPJ hosts a Press conference on failure of compliance with the Gazette on SECC

Sri Shabbir Deshmukh addressing media
MPJ and Anna Haq Parishad jointly organised a press conference here on 24th Sep 2015. This Press conference was hosted to highlight the insensitivity and failure of the Municipal Corporations to support the SECC process of 'displaying of draft list and inviting claims and objections' as per the State Gazette notification.

The State Government has filed an affidavit in the MPJ’s NFSA PIL that provides dates of ‘publishing of SECC draft list' for all the districts of Maharashtra. The door to door enumeration under Socio Economic and Caste Census (SECC) was completed by October 2013 but the draft list was not published. The Hon High Court demanded to know from the Government the progress in the SECC. The process of displaying the draft list of SECC in Maharashtra began on 10th December 2014.

This data after Claims and Objection phase will be later analysed using the Saxena Committee methodology to identify beneficiaries Below the Poverty Line as well as under several key programmes of the Government such as Food Security, Shahari Rozgar, Livelihood missions, Pensions, Gharkool, etc. The survey form for Rural was developed by the Saxena Committee while the survey form for Urban was developed by Hashim Committee.

For transparency and to improve the data quality, it is essential that the published list undergoes close scrutiny from the public to overcome flaws of the failed BPL surveys of 1997 and 2002. Hence upon publishing, it is the duty of the administration to inform the people to scrutinise and invite 'claims and objections'.

All District Collectors and Zilla Parishad CEOs have been directed by the various Departments and Directorates to publish draft lists and call for Claims and Objections. The process of raising objections will end in 30 days from the date of publishing the draft list in respective District / Municipal Corporation.

SECC norms require certain steps during the ‘Displaying of draft list and inviting Claims and Objections’ phase to be followed once draft list is published:

1. The draft list is to be displayed at Gram Pachayats, Block Development office, Zilla Parishad and District Collector's office.

2. Within a week of list being published, Gramsabhas are too be held and the list is to be read out.

Similarly, in urban areas the list will have to be displayed at Municipal wards for a month and general body to be held for public scrutiny on the 10th day.

Several critical issues witnessed are as follows:

·         Apart from few advertise advertisements in newspapers, no effort made to inform the people about the Claims phase

·         Draft list not displayed for public scrutiny but kept in files inside cupboards

·         Inadequate staff to facilitate the process

·         Staff not trained for the phase

·         how is everyone to know about such an important exercise being undertaken, especially the vulnerable sections who need to be included in the welfare measures

Under these circumstances we call up for the following:

·         We demand that the State Government to comply with its own affidavit, States Gazette notification and GRs by complying to the norms in letter and spirit

·         Restart the ‘Display and Claims’ process of SECC in BMC and Municipal Corporations of Thane

·         Allocate sufficient staff and adequately train them to run the process

·         Use all avenues to inform and involve people in the process

·         Hold general meeting of people at Ward level for public scrutiny as per the process defined in the Gazette notification



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