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शिव भोजन थाली मांग के अनुरूप उपलब्ध कराए सरकार: एम पी जे

















 












एम पी जे शिष्टमंडल ने खाद्य आपूर्ति मंत्री से मुलाक़ात कर के राशन वितरण की समस्याओं पर चर्चा की





नागपूर: मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर की नागपुर इकाई के एक डेलीगेशन ने राज्य विधानसभा के शीतकालीन अधिवेशन के दौरान खाद्य आपूर्ति मंत्री श्री छगन भुजबल से मुलाक़ात कर के राशन वितरण की समस्याओं पर चर्चा की. उन्हें प्रदेश में जन वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले राशन में हो रही अनियमितताओं को समाप्त करने और समस्त लाभार्थियों को अच्छी क्वालिटी के सामान के वितरण को लेकर एक ज्ञापन सौंपा. 

एम पी जे ने मंत्री महोदय से जिनके पास आधार कार्ड नहीं है, उन्हें भी राशन दिए जाने, राशन की दूकानों को नियमित रूप से खुली रखने, सस्ते दामों पर खाद्य तेल, विविध दालें, चना, मटर आदि वस्तुएं वितरित किए जाने, राज्य के सभी जिलों में जिला तक्रार निवारण अधिकारी की नियुक्ती के बारे में जनजागृति करने, राज्य के सभी राशन दुकानों में संबंधित अधिकारीयों का पता प्रदर्शित करने आदि की मांग की है.  



इन मांगों को लेकर शिष्टमंडल ने मंत्री महोदय से चर्चा की. मंत्री महोदय ने शिष्टमंडल को उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.

शिष्टमंडल में MPJ के नागपूर जिला महासचिव शकील मोहम्मदी, नाजि़म हुसैन,ऐह्ताशामुल हक़, राजेश बांगर और अन्य कार्यकर्ता शामिल थे.    

गोवंडी राशन ऑफिस में केरोसिन के लिए गरीब जनता ने किया सफ़ल विरोध प्रदर्शन







मुंबई: गरीब जनता ने 17 दिसम्बर को  गोवंडी राशन कार्यालय में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दूकानों से केरोसिन के वितरण को रोक दिए जाने के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया. उल्लेखनीय है कि सरकार ने चूल्हा मुक्त महाराष्ट्र-धुआं मुक्त महाराष्ट्र योजना के तहत खाद्य सुरक्षा कानून के लाभार्थी सभी राशन कार्ड धारकों को घरेलू एलपीजी गैस देने का फैसला किया है. किन्तु सरकार ने इस योजना पर 100 प्रतिशत कार्यान्वयन होने से पहले ही राशन की दुकान से मिट्टी के तेल के वितरण को बंद कर दिया है.  लोगों के पास न तो खाना पकाने के लिए गैस है और न ही राशन की दूकान से उन्हें केरोसिन मिल रहा है. खुले बाज़ार में 80 रूपए प्रति लीटर की दर से केरोसिन बिक रहा है, जो गरीबों की पहुंच से बाहर है. जिसके कारण गरीब लोग भूखमरी का शिकार हैं.

जन कल्याणार्थ, मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर (MPJ) ने 17 दिसम्बर को  महाराष्ट्र सरकार से  मांग की है कि, जब तक चूल्हा मुक्त महाराष्ट्र-धुआं मुक्त महाराष्ट्र योजना के तहत सभी लोगों को एलपीजी गैस उपलब्ध नहीं करा दी जाती है, तब तक खाद्य सुरक्षा क़ानून से लाभ पाने के पात्र सभी राशन कार्ड धारकों को राशन की दुकान से केरोसिन मिलना चाहिए.

17 दिसम्बर को  एमपीजे के नेतृत्व में जन अधिकार परिषद के बैनर तले बड़ी तादाद में ग़रीब जनता ने केरोसिन बंद करने के ख़िलाफ़ गोवंडी राशन कार्यालय के सामने विरोध-प्रदर्शन किया और राशन अधिकारी को ज्ञापन सौंप कर जन वितरण प्रणाली के अंतर्गत मिट्टी के तेल सस्ते दरों पर उपलब्ध कराने की मांग की.   राशन अधिकारी ने जन अधिकार परिषद के डेलीगेशन से लोगों को राशन की दूकान से केरोसिन  दिए जाने का भरोसा दिलाया.

एम पी जे मुंबई की बांद्रा यूनिट ने विजयी मेलावा का आयोजन किया




मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर मुंबई की बांद्रा यूनिट द्वारा 31 अगस्त 2019 को विजयी मेलावा का आयोजन किया गया. दरअसल एम पी जे की बांद्रा यूनिट के सफ़ल मार्गदर्शन की वजह से बांद्रा के कई परिवारों को पीडीएस के माध्यम से राशन मिलना शुरू हो गया है. कई ऐसे राशनकार्ड धारक हैं, जिन्हें अभी भी राशन नहीं मिल रहा है. एम पी जे ने जिन परिवारों को राशन मिलना शुरू हो गया है, उनके अभिनन्दन तथा राशनकार्ड होने के बावजूद राशन से वंचित परिवार को मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु इस कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में लाभान्वित परिवार के अलावा अनेक सामाजिक कार्यकर्त्ता भी उपस्थित थे.



अन्न अधिकार अभियान सफलतापूर्वक संपन्न, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने एमपीजे की मांगों पर कार्रवाई करने का भरोसा दिलाया





            


मुंबई: महाराष्ट्र में सब के लिए अन्न अधिकार सुनिश्चित करने हेतु एमपीजे के द्वारा 5 जनवरी 2019 को “अन्न का अधिकार-जीने का अधिकार” के नाम से शुरू किया गया अन्न अधिकार अभियान सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है. इस अभियान के तहत एमपीजे ने प्रदेश के विभिन्न इलाक़ों में राशन के मुद्दे पर जनजागरण अभियान चला कर जनता को राशन के उनके अधिकार के बारे में आवश्यक सूचना प्रदान कर के सशक्त बनाने का प्रयास किया.

इस जनजागरण कार्यक्रम के दौरान एमपीजे को बड़ी तादाद में राशन डीलरों द्वारा राशनकार्ड धारकों को बिल्कुल ही राशन नहीं दिये जाने और निर्धारित कोटे से कम मात्रा में राशन देने की शिकायत प्राप्त हुई. राशनकार्ड धारकों ने बताया कि उनकी शिकायत सम्बंधित सरकारी कार्यालय में भी नहीं सुनी जाती है.

एमपीजे ने विभिन्न स्थानों पर कैंप लगा कर लोगों को महाराष्ट्र सरकार के शासन निर्णय के अनुरूप राशन से सम्बंधित मुद्दों पर शिक्षित करने का कार्य किया. कई जगहों पर सम्बंधित विभागीय अधिकारियों से मिलकर जनता की परेशानी से अवगत कराया.


इस अभियान के अंतिम चरण में एमपीजे ने अन्न अधिकार सुनिश्चित करने के लिए राज्यव्यापी स्तर पर धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया, जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री मा. श्री गिरीश बापट ने एमपीजे को राशन के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया. श्री शब्बीर देशमुख के नेतृत्व में एक डेलीगेशन द्वारा मंत्री महोदय से मुलाक़ात कर के इस विषय पर विस्तार से चर्चा की गई. मा. श्री गिरीश बापट ने एमपीजे के कार्यों की सराहना करते हुए राशन से वंचित लोगों को पीडीएस से जोड़ने का भरोसा दिलाया है.  

  

एमपीजे के अन्न अधिकार अभियान के तहत प्रदेश के अनेक स्थानों पर धरना –प्रदर्शन का सफ़ल आयोजन




                                                                  
मुंबई: अन्न का अधिकार जीने का अधिकार का नारा बुलंद करते आज यहाँ प्रदेश के अलग अलग कोने से आये राशन से वंचित नागरिकों को प्रदेश सरकार से भीख नहीं उन्हें उनका अधिकार देने की मांग करते देखा गया. मुंबई के आज़ाद मैदान में बड़ी तादाद में राशन से वंचित लोग जमा हो कर अन्न के अधिकार के लिए धरने पर बैठे नज़र आये.

प्रदेश की जन आन्दोलन "मुव्हमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर" (MPJ) के प्रदेश उपाध्यक्ष रमेश कदम ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि, “अन्न  का अधिकार भारत के नागरिकों का एक मौलिक अधिकार है. माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने एक फ़ैसले में कहा था कि यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है कि देश में कोई भी भूखा न रहे. लेकिन, यह एक कड़वा तथ्य है कि देश की सबसे समृद्ध अर्थव्यवस्था के रूप में  जाने जाने वाले प्रदेश महाराष्ट्र में भी भूख से संबंधित मौत होने की घटनाएँ घटित होती रही हैं.  भारत सरकार ने भूख की समस्या से निपटने के लिए वर्ष  2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) लागू किया.  लेकिन देश में खाद्य सुरक्षा होने के बावजूद लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं.   अधिकांश लोगों को एनएफएसए द्वारा प्रदत्त उनके खाद्य सुरक्षा अधिकार नहीं मिल पा रहा है.” 

एमपीजे के मुंबई अध्यक्ष शब्बीर देशमुख ने बताया कि, “प्रदेश में टी पी डी एस के तहत हक़दार लोगों को  राशन नहीं मिलने और निर्धारित कोटे से कम मिलने की शिकायत आम है.  पीड़ित उपभोक्ता सरकारी कार्यालय के चक्कर काटता रह जाता है, किन्तु उसकी सुनने वाला कोई नहीं है.”

आप को बता दें कि, मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एमपीजे) ने महारष्ट्र में नागरिकों के अन्न अधिकार को लेकर एक राज्यव्यापी जनजागरण अभियान आयोजित किया था. यह अभियान दिनांक 5 जनवरी 2019 को शुरू हुआ था और 31 जनवरी 2019 को ख़त्म होगा. इस अभियान के अंतिम चरण में एमपीजे द्वारा प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में वंचितों को उनके जीने का हक़ देने हेतु आज धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया है और सरकार से मांग की गई है कि जनता को उनके जीने का अधिकार दिया जाए. इस अभियान के तहत एमपीजे ने प्रदेश में जनजागरण अभियान चला कर जनता को उनके अन्न अधिकार के मामले में जागरूक करने के साथ साथ सरकार से महाराष्ट्र में लक्षित जन वितरण प्रणाली के तहत राशन वितरण को न्यायसंगत और पारदर्शी बनाने की मांग की है.

प्रेस को संबोधित करते हुए एमपीजे के प्रदेश अध्यक्ष मुहम्मद सिराज ने कहा कि, “वर्ष 2013 में जब अन्न सुरक्षा क़ानून आया, उस समय महाराष्ट्र में 8 करोड़ 77 लाख लोग अन्न सुरक्षा का लाभ पा रहे थे, किन्तु उक्त क़ानून के तहत सात करोड़ लोगों को अन्न सुरक्षा देने का प्रावधान किया गया था, जिससे 1 करोड़ 77 लाख लोग अन्न सुरक्षा से वंचित हो गए थे. तत्कालीन सरकार ने बाज़ार भाव पर केंद्र सरकार से अनाज लेकर उन वंचित हो गए लोगों को सब्सिडी प्रदान कर के पीडीएस का लाभ दिया था. किन्तु वर्ष 2014 में वर्तमान  सरकार के आने के पश्चात् उन लोगों का सब्सिडी आधारित  राशन बंद हो गया.  राशन वितरण हेतु डिजिटल सिस्टम अपनाये जाने के कारण भी एक करोड़ दस लाख लोग अन्न सुरक्षा के लाभ से वंचित हो गए.  इस तरह प्रदेश में कुल 2 करोड़ 87 लाख लोगों को अन्न सुरक्षा से वंचित कर दिया गया है.” 

उन्हों ने कहा कि हम महाराष्ट्र सरकार से मांग करते हैं कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों के लिए खाद्य सुरक्षा एक अधिकार है, इसलिए खाद्य सुरक्षा कवर से एक भी गरीब और कमजोर को बाहर नहीं छोड़ा जाए. इसके अलावा NFSA के तहत एक करोड़ से अधिक पात्र लाभार्थी आधार आधारित पीडीएस प्रणाली में तकनीकी गड़बड़ी के कारण राशन की दुकानों से राशन उठाने में असमर्थ हैं, इसलिए जब तक अंतिम व्यक्ति को AePDS में सफलतापूर्वक पंजीकृत नहीं कर लिया जाता है, तब तक एक भी पात्र लाभार्थी को खाद्य सुरक्षा से वंचित नहीं किया जाए. साथ ही प्राधान्य लाभार्थियों  के लिए 59,000 की वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर 1 लाख कर दिया जाए तथा खाद्य सुरक्षा नेट में अक्टूबर 2014 से राशन से वंचित कर दिए गए 1.77 करोड़ एपीएल- ऑरेंज कार्ड धारकों  को वापस लाया जाए.

अकोला 










अमरावती  

  
 
                                                                     लातूर 
                 




                                                                    मुंबई 












                                                                  नागपुर 



नांदेड़ 








                                                                    जालना 




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