किसानों को न्याय दे सरकार: एम पी जे

 



मुव्हमेंट फॉर पीस एंड जस्टिस फॉर वेलफेयर (एम पी जे) महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना ने किसानों को न्याय देने की अपील करते हुए सरकार से किसानों की समस्याओं को हल करने का अनुरोध किया है. ग़ौर तलब है कि एम पी जे ने पहले भी विवादित तीन कृषि क़ानून को रद्द करने की मांग की थी.


एम पी जे शुरू से ही किसानों की समस्याओं को उठाती रही है और इन तीन क़ानूनों को लेकर कृषि विशेषज्ञों से सलाह मशविरा करने के बाद इस नतीजे पर पहुंची है कि, ये क़ानून न केवल किसान विरोधी हैं, बल्कि आम आदमी विरोधी भी हैं.


इसलिए संगठन ने इन क़ानूनों को रद्द करने और एम एस पी से नीचे की खरीद को अवैध घोषित करने की मांग सरकार से की है.


एम पी जे महाराष्ट्र में विभिन्न जिलों में अन्य किसान संगठनों के साथ मिलकर किसानों को न्याय दिलाने हेतु प्रयासरत है.


प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर एम पी जे किसानों के हितार्थ धरना-प्रदर्शन कर रही है. इसके अलावा एम पी जे ने प्रदेश के विभिन्न भागों में ज़िला प्रशासन के माध्यम से मेमोरेंडम दे कर सरकार से किसानों की समस्याओं को हल करने का अनुरोध किया है.


























महाराष्ट्र की बीमार स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को बेहतर करे सरकार: एम पी जे

 

परभणी में मेमोरेंडम प्रस्तुत करते हुए एम पी जे टीम

मुंबई: मुव्हमेंट फ़ॉर पीस एंड जस्टिस फ़ॉर वेलफेयर (एम पी जे) ने आज महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार से  प्रदेश की बीमार स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक करने की गुहार  लगाई है. एम पी जे ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को मेमोरेंडम सौंप कर बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक करने और स्वास्थ्य पर जी डी पी का कम से कम 2% ख़र्च करने की अपील की है. 


गौर तलब है कि, कोविड-19 नाम की महामारी ने महाराष्ट्र में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है. कोरोना वायरस जैसी महामारी के सामने देश की सब से मज़बूत अर्थव्यवस्था वाले राज्य महाराष्ट्र के सरकारी हेल्थ केयर संस्थान बेबस नज़र आए और लॉक डाउन पीरियड में कोरोना से कम अन्य दूसरी बीमारियों में लोगों को समुचित हेल्थ केयर सुविधा नहीं मिलने की वजह से ज़्यादा मौतें हुई हैं.  


एम पी जे ने स्वास्थ्य के मुद्दे पर एक राज्यव्यापी आन्दोलन चलाया और इस आन्दोलन के दौरान हम ने पी एच सी से लेकर ज़िला अस्पताल तक का सर्वे किया. इस सर्वे में राज्य की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था में अनेक खामियां सामने आई हैं. प्रदेश में जनसँख्या के अनुपात में हेल्थ केयर संसथान नहीं हैं. इसके अलावा आई पी एच एस मानदंडों के मुताबिक़ मिलने वाली सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं. हज़ारों की तादाद में डॉक्टर्स और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ़ के पद रिक्त पड़े हैं.


एम पी जे के इस अभियान से इस बात का ख़ुलासा हुआ है कि, महाराष्ट्र में कोविड-19 के इलाज के लिए निजी अस्पतालों ने मनमाना पैसा वसूल किया  है. इसलिए एम पी जे ने प्रदेश सरकार से स्वास्थ्य पर सरकारी ख़र्च बढ़ाने तथा क्लिनिकल एस्टब्लिश्मेंट्स (रजिस्ट्रेशन एंड रेगुलेशन) अधिनियम लागू करने की अपील की है.


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